भारत और पाकिस्तान 41 साल में पहली बार एशिया कप के फाइनल में आमने-सामने होने जा रहे हैं। ग्रुप और सुपर-4 स्टेज में दोनों के बीच हुए मुकाबले को टीम इंडिया ने एकतरफा अंदाज में अपने नाम किया। दोनों मैच दुबई में खेले गए, अब फाइनल भी दुबई में ही रविवार को होगा। भारत-पाकिस्तान मैच में कई बार इमोशंस हावी रहते हैं, जिस कारण प्रेशर सिचुएशन भी बन जाती हैं। 2022 और 2007 के टी-20 वर्ल्ड कप में प्रेशर के कारण ही पाकिस्तान टीम बिखर गई थी। हालांकि, एशिया कप फाइनल में प्रेशर और इमोशंस से हटकर 4 ऐसे फैक्टर्स भी हैं, जो मुकाबले का नतीजा तय करने वाले हैं। स्टोरी में इन्हीं 4 फैक्टर्स को समझते हैं… फैक्टर-1: दुबई की पिच और टॉस की कन्फ्यूजन
दुबई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम की पिच पर मौजूदा एशिया कप से पहले तक गणित बहुत सिंपल रहता था। टॉस जीतो, बॉलिंग चुनो और मैच जीत जाओ। एसोसिएट देशों के लिए जरूर रन चेज मुश्किल रहता था, लेकिन टेस्ट प्लेइंग नेशंस के लिए यही गणित ज्यादातर मौकों पर काम आया। दुबई में 103 टी-20 मैच खेले गए, 50 में पहले बैटिंग और 52 में बाद में बैटिंग करने वाली टीमों को जीत मिली। टॉप-8 टीमों के बीच 42 टी-20 हुए, 24 में चेज करने वाली टीमों को जीत मिली। वहीं 2018 के बाद से 20 मुकाबले हुए, 15 बार चेज करने वाली टीमों को ही सफलता मिली। आंकड़ों के हिसाब से तो टॉस जीतकर बॉलिंग करना ही फायदेमंद है, लेकिन इस बार 2 मुकाबलों में टीमें 168 और 135 रन का स्कोर भी डिफेंड करने में कामयाब रहीं। हालांकि, दोनों बार टी-20 रैंकिंग में 9वें नंबर की टीम बांग्लादेश ने ही मैच गंवाया। इस बार मुकाबला नंबर-7 और नंबर-1 रैंक टीमों के बीच होने वाला है। ऐसे में दोनों टीमें कन्फ्यूजन की स्थिति में रह सकती है कि टॉस जीतकर क्या चुनना है। हालांकि, ओस फैक्टर को देखते हुए चेज करने में ही ज्यादा टीमें फायदे में रहेंगी। फैक्टर-2: भारत की ओपनिंग जोड़ी
टीम इंडिया की ओपनिंग जोड़ी मैच को पाकिस्तान की पकड़ से बहुत दूर ले जा सकती है। अभिषेक शर्मा बेहतरीन फॉर्म में हैं और सुपर-4 स्टेज में लगातार 3 फिफ्टी भी लगा चुके हैं। वे टूर्नामेंट के टॉप रन स्कोरर हैं और 200 से ज्यादा के स्ट्राइक रेट से रन बना रहे हैं। अभिषेक एक एंड पर तेजी से रन बनाते हैं, वहीं दूसरे एंड पर शुभमन गिल संभलकर पारी आगे बढ़ाते हैं। वे टिककर रन बनाते हैं, वहीं दूसरी ओर अभिषेक खुलकर शॉट्स खेलते हैं। दोनों पाकिस्तान के खिलाफ सेंचुरी पार्टनरशिप भी कर चुके हैं। एशिया कप के 6 मुकाबलों में दोनों ने 45 से ज्यादा की औसत से 273 रन जोड़े हैं। दोनों फाइनल में टिक गए तो पावरप्ले में ही स्कोर तेजी से 80 के करीब पहुंचा देंगे। दुबई की लो-स्कोरिंग पिच को देखते हुए यह स्कोर टर्निंग पॉइंट भी साबित हो सकता है। फैक्टर-3: पाकिस्तान की पेस बॉलिंग
शाहीन शाह अफरीदी और हारिस रऊफ के रूप में पाकिस्तान के पास 2 मजबूत तेज गेंदबाज हैं। दोनों के नाम टूर्नामेंट में 9-9 विकेट हैं। हारिस ने 4 ही मैच में इतने विकेट झटक लिए, वहीं शाहीन ने 6 मुकाबले खेले हैं। शाहीन नई गेंद से पारी की शुरुआत करते हैं और ओपनिंग बैटर्स को आउट कर विपक्षी टीम पर दबाव बनाते हैं। दूसरी ओर रऊफ मिडिल और डेथ ओवर्स में अपनी पेस और बाउंस से बल्लेबाजों को परेशान करते हैं। हारिस तो भारत के कप्तान सूर्यकुमार यादव को 3 टी-20 में 3 बार आउट भी कर चुके हैं। पाकिस्तान को मैच में पकड़ बनानी है तो दोनों पेसर्स का चलना बेहद जरूरी है। फैक्टर-4: भारत की स्पिन तिकड़ी
भारत का स्पिन डिपार्टमेंट भी पाकिस्तान के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। कुलदीप यादव 6 ही मुकाबलों में 12 विकेट लेकर टूर्नामेंट के टॉप बॉलर हैं। वहीं वरुण चक्रवर्ती और अक्षर पटेल ने 4-4 विकेट लिए हैं। दोनों की इकोनॉमी 6.20 से कम ही रहती है। कुलदीप पाकिस्तान के खिलाफ हर मुकाबले में एक न एक विकेट तो जरूर लेते हैं। वे मौजूदा टूर्नामेंट में भी टीम के खिलाफ 4 विकेट ले चुके हैं। पाकिस्तानी बैटर्स को कुलदीप और वरुण की स्पिन समझने में बहुत परेशानी हुई है। स्पिनर्स के अलावा जसप्रीत बुमराह का प्रदर्शन भी फाइनल के नतीजे को भारत की ओर मोड़ सकता है।