CGPSC घोटाला…2021 का पेपर 2020 में हो गया था लीक:आरती वासनिक ने ध्रुव से पेपर-लीक कराया; नीतेश-निशा ने इंटरव्यू नहीं दिया, फिर भी चयन

0
3

छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) भर्ती घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। CBI द्वारा 29 सितंबर को दाखिल की गई लगभग 2000 पन्नों की चार्जशीट में यह सामने आया है कि CGPSC की 2021 में प्रस्तावित परीक्षा का प्रश्न पत्र वर्ष 2020 में ही लीक कर दिया गया था। इस मामले में बीते शुक्रवार CBI ने पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जिनमें PSC की पूर्व परीक्षा नियंत्रक आरती वासनिक, पूर्व सचिव और सेवानिवृत्त IAS अधिकारी जीवनलाल ध्रुव, उनके बेटे सुमित ध्रुव, निशा कोसले और दीपा आदिल शामिल हैं। चार्जशीट के अनुसार, प्रश्न पत्र को आरती वासनिक ने उस समय के सचिव जीवनलाल ध्रुव के माध्यम से लीक करवाया था। चार्जशीट में यह भी कहा गया है कि परीक्षा प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं बरती गईं। PSC के तत्कालीन चेयरमैन और रिटायर्ड IAS टामन सिंह सोनवानी के परिवार के सदस्यों को अवैध रूप से लाभ पहुंचाया गया। रिपोर्ट के मुताबिक, टामन सिंह के भतीजे और दत्तक पुत्र नीतेश सोनवानी तथा उनकी बहू निशा कोसले मुख्य इंटरव्यू में शामिल ही नहीं हुए थे, फिर भी उनका नाम चयन सूची में शामिल किया गया। यह जानकारी PSC के दस्तावेजों की जांच में सामने आई है। साथ ही, इंटरव्यू पैनल में खुद चेयरमैन टामन सिंह मौजूद थे। रिश्तेदारी छिपाने फॉर्म में नहीं लिखा पति का नाम टामन के भाई की बहू दीपा आदिल का चयन आबकारी अधिकारी के तौर पर हुआ। उनके दस्तावेज में भी चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। उन्होंने PSC के फॉर्म में पति का नाम नहीं लिखा। कॉलम खाली छोड़ दिया। जबकि शादी हुई है या नहीं वाले कॉलम में हां लिखा। शादी की तारीख 7 मई 2008 दर्ज की। दीपा, टामन के बड़े भाई दिवंगत दीमान सिंह की बहू है। CBI के अनुसार परीक्षा से पहले दीपा, निशा, साहिल और नीतेश को टामन ने प्री और मेन्स का पेपर उपलब्ध कराया था। चारों ने मिलकर तैयारी की और चयन पहले से तय था। टामन के भतीजे विनीत और श्वेता के चैट से इसका खुलासा हुआ है। दोनों चयन को लेकर चर्चा कर रहे थे। चैट मिलने के बाद CBI ने दोनों के बयान दर्ज किए। छापेमारी में हुई थी पेपर पहले मिलने की पुष्टि 17 जुलाई 2024 को CBI ने PSC सचिव जेके ध्रुव के घर में छापा मारा था। जेके ध्रुव के घर से पेपर और प्रैक्टिस आंसर सीट मिली थी। CBI ने अपनी जांच में लिखा है कि परीक्षा नियंत्रक आरती वासनिक ने पीएससी सचिव जेके ध्रुव को 2021 की परीक्षा का पेपर 2020 में ही दे दिया। टामन सिंह और आरती वासनिक ने PSC मुख्य परीक्षा 2021 का पेपर एक साल पहले यानी 2020 में ही PSC सचिव जीवन किशोर ध्रुव को दे दिया था। इस पेपर से उनका बेटा सुमित ध्रुव लगातार अभ्यास करता रहा। CBI ने जीवन ध्रुव के घर से प्रश्नपत्र और उत्तर की कॉपी बरामद की। पेपर-2 और पेपर-7 पहले से सुमित के पास थे। इनमें 47 में से 42 प्रश्न उसे उपलब्ध कराए गए थे। पेपर-2 में क्रिप्टो करेंसी, टोनही प्रथा और दंतेवाड़ा पर निबंध लिखना था, जिसका सुमित एक साल से अभ्यास कर रहा था। उसके घर से अन्य सबूत भी मिले हैं। अब पढ़िए टामन सोनवानी के रिश्तेदारों ने चैट में क्या बात की- जिन मॉडरेटरों ने पेपर तैयार नहीं किया उनका नाम रजिस्टर में दर्ज पेपर सेट नहीं करने वाले मॉडरेटरों के नाम रजिस्टर में शामिल नहीं थे। CBI ने आरती वासनिक के पास से एक रजिस्टर जब्त किया, जिसमें पेपर तैयार करने वाले मॉडरेटरों के नाम दर्ज थे। इसमें प्रो.डॉ. बीपी यादव, प्रो.जेएल भारद्वाज, ज्ञानेंद्र शुक्ला, डॉ. सीमा खान, डॉ. नीरज झा और डॉ. आरएल दवे शामिल थे। ये सभी PSC के पेपर बनाने में संलग्न थे। CBI ने इन सभी से बयान भी दर्ज किए। डॉ. नीरज झा ने साफ किया कि उन्होंने पेपर-7 तैयार नहीं किया था। प्रो. भारद्वाज, डॉ. खान और डॉ. दवे ने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई याद नहीं है। वहीं, प्रो. नागरत्ना गणवीर और आरके पुरोहित ने भी मॉडरेशन किया था, लेकिन उनका नाम रजिस्टर में नहीं था। स्ट्रॉन्ग रूम के रजिस्टर में नहीं मिला पेपर का रिकॉर्ड आरती वासनिक ने 2020 में PSC मुख्य परीक्षा के 2 अलग सेट तैयार करवाए थे। इनमें से एक सेट से ही परीक्षा आयोजित कराई गई। दूसरे सेट को स्ट्रॉन्ग रूम में रखने का निर्देश दिया गया था, लेकिन उसकी कोई एंट्री रिकॉर्ड में नहीं मिली। परिणामस्वरूप, यह पेपर आरती के पास ही सुरक्षित रहा। इसी पेपर का उपयोग कर 2021 की मुख्य परीक्षा आयोजित की गई। इस परीक्षा के लिए कोई नया पेपर तैयार नहीं किया गया। जानिए क्या है CGPSC घोटाला यह मामला 2020 से 2022 के बीच हुई भर्ती प्रक्रियाओं से जुड़ा है। आरोप है कि आयोग की परीक्षाओं और इंटरव्यू में पारदर्शिता को दरकिनार कर राजनीतिक और प्रशासनिक रसूख वाले परिवारों के उम्मीदवारों को उच्च पदों पर चयनित किया गया। इस दौरान योग्य अभ्यर्थियों की अनदेखी कर डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी और अन्य राजपत्रित पदों पर अपने नजदीकी लोगों को पद दिलवाने का खेल हुआ। प्रदेश सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच CBI को सौंपी। जांच एजेंसी ने छापेमारी में कई दस्तावेज और आपत्तिजनक साक्ष्य बरामद किए हैं। 171 पदों के लिए हुई थी भर्ती परीक्षा CGPSC परीक्षा 2021 में 171 पदों के लिए भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी। प्री-एग्जाम 13 फरवरी 2022 को कराया गया। इसमें 2 हजार 565 पास हुए थे। इसके बाद 26, 27, 28 और 29 मई 2022 को हुई मेंस परीक्षा में 509 अभ्यर्थी पास हुए। इंटरव्यू के बाद 11 मई 2023 को 170 अभ्यर्थियों की सिलेक्शन लिस्ट जारी हुई थी। 12 आरोपी हो चुके हैं गिरफ्तार CBI ने 19 सितंबर को 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इनमें PSC की पूर्व परीक्षा नियंत्रक आरती वासनिक, PSC के पूर्व सचिव और रिटायर्ड IAS जीवनलाल ध्रुव, उनके बेटे सुमित ध्रुव, निशा कोसले और दीपा आदिल शामिल हैं। इससे पहले 18 नवंबर को CBI ने तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी और बजरंग पावर एंड इस्पात के तत्कालीन निदेशक श्रवण कुमार गोयल को गिरफ्तार किया था। इसके बाद 10 जनवरी को 5 और आरोपियों को हिरासत में लिया गया। जिनमें नितेश सोनवानी (तत्कालीन अध्यक्ष का भतीजा, डिप्टी कलेक्टर चयनित), ललित गणवीर (तत्कालीन डिप्टी परीक्षा नियंत्रक, CGPSC), शशांक गोयल, भूमिका कटियार (दोनों डिप्टी कलेक्टर चयनित) और साहिल सोनवानी (डीएसपी चयनित) शामिल हैं। ये सभी फिलहाल जेल में बंद हैं। …………………………….. इससे जुड़ी ये खबर भी पढ़ें…
CGPSC घोटाला…रिटायर्ड IAS, पूर्व परीक्षा नियंत्रक समेत 5 गिरफ्तार:3 दिन CBI की रिमांड पर रहेंगे; आरती वासनिक पर प्रश्न पत्र लीक करने का आरोप छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) घोटाला मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने शुक्रवार को 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों को रायपुर की स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया। CBI के वकील ने 14 दिन की रिमांड की अपील की। लेकिन कोर्ट ने सभी को 3 दिन की रिमांड पर भेजा है। पढ़ें पूरी खबर

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here