Ekadashi Vrat Rules: सुख-समृद्धि और मोक्ष का द्वार है एकादशी व्रत, जानिए सही विधि और इसके गहन महत्व

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एकादशी का व्रत जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित होता है। इसलिए एकादशी को व्रत करने के साथ भगवान विष्णु की विधिविधान से पूजा-अर्चना की जाती है। एकादशी का व्रत करने से जातक को हजार गायों को दान करने बराबर पुण्य मिलता है। शास्त्र और पुराणों के मुताबिक एकादशी को हरि दिन कहा जाता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि एकादशी का व्रत क्यों करना चाहिए। साथ ही एकादशी व्रत के नियम और महत्व के बारे में भी जानेंगे। बता दें कि एकादशी की तिथि को आध्यात्मिक काम करने मन और शरीर को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।

महत्व

एकादशी का व्रत करने से जातक द्वारा किए गए सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति मृत्यु के बाद मोक्ष को प्राप्त करता है। महाभारत काल में पांडवों के अलावा भीष्म पितामह ने भी एकादशी का व्रत किया था। माना जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से ही भीष्म पितामह ने अपनी मृत्यु का समय खुद चुना था।

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सिर्फ आध्यात्म की दृष्टि से ही नहीं बल्कि सांसारिक दृष्टि से भी एकादशी का व्रत अच्छा होता है। इस व्रत को करने से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है। वहीं व्यक्ति सांसारिक सुखों को भोगते हुए अपने पूर्वजों का भी उद्धार करता है। साथ ही खुद भी अंत में बैकुंठ धाम जाता है।

एकादशी व्रत नियम

स्कंद पुराण के मुताबिक एकादशी व्रत का नियम कठोर होता है। व्रती को एकादशी तिथि के पहले यानी दशमी तिथि को सूर्यास्त से लेकर एकादशी के अगले दिन सूर्योदय होने तक व्रत रखना होता है।

एकादशी व्रत के दिन क्या-क्या करें

व्रती को दशमी तिथि के सूर्यास्त के समय से व्रत शुरूकर देना चाहिए। 
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य क्रिया करके श्रीहरि विष्णु की पूजा करें।
दशमी तिथि को बिना नमक वाला खाना खाएं।
एकादशी तिथि को मन में श्रीहरि विष्णु के मंत्रों का जाप करें और ज्यादा बातचीत नहीं करनी चाहिए।
व्रत के दौरान मेवा, चीनी, नारियल, जैतून, दूध, ताजे फल, कुट्टू का आटा, अदरक, काली मिर्च, सेंधा नमक, आलू, साबूदाना, शकरकंद आदि खाया जा सकता है।

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