छत्तीसगढ़ कोयला घोटाला मामले में बुधवार को आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने आरोपी देवेंद्र डडसेना और नवनीत तिवारी के खिलाफ 1500 पन्नों का चालान पेश किया। चालान के अनुसार ये दोनों आरोपी कोल लेवी सिंडिकेट के मास्टरमाइंड सूर्यकांत तिवारी के लिए काम करते थे। सूर्यकांत तिवारी ने IAS, IPS, खनिज अधिकारियों और राजनेताओं के साथ मिलकर 570 करोड़ रुपए से ज्यादा की उगाही की। EOW और ED की चार्जशीट में आरोपियों के वॉट्सऐप ग्रुप और उनकी चैटिंग का जिक्र है। ये चैटिंग साक्ष्य के रूप में कोर्ट में पेश की गई है। EOW-ED की चार्जशीट के अनुसार आरोपियों ने घोटाले का हिसाब-किताब करने के लिए पाल ग्रुप, दुर्ग ग्रुप, वीकली ग्रुप, टावर ग्रुप और जुगनू ग्रुप बनाए थे। इस ग्रुप में सूर्यकांत तिवारी के कर्मचारियों के अलावा उसके करीबी शामिल थे। ग्रुप में कर्मचारी हिसाब-किताब भेजते थे। इसी ग्रुप में सूर्यकांत IAS-IPS को पैसा पहुंचाने का निर्देश भी जारी करता था। कोडवर्ड में डील होती थी। चार्जशीट के अनुसार के कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव के लिए D, रानू साहू के लिए RS कोडवर्ड था। गिरा या इन का मतलब वसूली का पैसा आना। करोड़ के लिए गिट्टी और लाख के लिए रेती कोडवर्ड उपयोग होता था। नवनीत तिवारी रायगढ़ का काम देखता था। चार्जशीट में 3 IPS के भी नाम है, जो सूर्यकांत और सौम्या के संपर्क में थे। वॉट्सऐप ग्रुप के चैट्स में क्या लिखा है? मास्टरमाइंड सूर्यकांत तिवारी का काम जिलों में कौन संभालता था? 3 IPS कौन है, जो सूर्यकांत-सौम्या के संपर्क में थे? किन कोडवर्ड के सहारे डील होती थी? इस रिपोर्ट में पढ़िए… पहले देखिए वॉट्सऐप ग्रुप के चैट्स- 3 IPS सूर्यकांत-सौम्या के संपर्क में थे ED की चार्जशीट के अनुसार तत्कालीन सीएम भूपेश बघेल की उप सचिव सौम्या चौरसिया और कोयला कारोबारी सूर्यकांत तिवारी IPS पारूल माथुर, IPS प्रशांत अग्रवाल और IPS भोजराम पटेल के संपर्क में थे।इन अफसरों पर आरोप है कि इन्होंने विभाग की ऑफिशियल जानकारी सूर्यकांत तिवारी को दी। वहीं IPS पारूल माथुर पर आरोप है कि वे कारोबारी तिवारी के कहने पर कोयला लेकर जा रहे वाहनों पर एक्शन लेती थी। वहीं कॉन्स्टेबल अमित कुमार दुबे पर ED अफसरों की जासूसी करने का आरोप है। कोल वाशरी से 100 और ट्रांसपोर्टर से 25 रुपए प्रति टन वसूली कोर्ट में पेश चार्जशीट के अनुसार कोल ट्रांसपोर्टिंग करने वालों के अलावा कोल वाशरी संचालकों से भी अलग से कमीशन वसूला गया। कोल वाशरी संचालकों से 100 रुपए प्रति टन और वाशरी से कोयला निकलने पर 25 रुपए प्रति टन अतिरिक्त ट्रांसपोर्टिंग शुल्क लिया जाता था। इस तरह कोल कारोबारियों को 2 बार कमीशन देना पड़ता था। कोरबा और रायगढ़ में वसूली के लिए अलग से ऑफिस खोले गए थे। रायगढ़ में वसूली का काम नवनीत देखता था रायगढ़ का पूरा काम नवनीत तिवारी और कोरबा का काम मोइनुद्दीन देखता था। दोनों हर महीने वसूली की रकम अनुपम नगर स्थित सूर्यकांत तिवारी के घर पर जमा करते थे। सूर्यकांत के घर से मिली डायरी में नवनीत (नीतू) के नाम के आगे 17.73 करोड़ रुपए दर्ज है। अलग-अलग गवाहों के बयान में भी इसकी पुष्टि हुई है कि नवनीत ने लंबे समय तक वसूली की। जानिए क्या है छत्तीसगढ़ का कोल लेवी घोटाला जांच एजेंसियों का दावा है कि छत्तीसगढ़ में कोयला घोटाला किया गया है। इस मामले में 36 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। ईडी का आरोप है कि कोयले के परिचालन, ऑनलाइन परमिट को ऑफलाइन करने समेत कई तरीकों से करीब 570 करोड़ रुपए से अधिक की अवैध वसूली की गई है। जांच एजेंसियों का दावा है कि कोल परिवहन में कोल व्यापारियों से वसूली करने के लिए ऑनलाइन मिलने वाले परमिट को ऑफलाइन कर दिया गया था। खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक आईएएस समीर विश्नोई ने 15 जुलाई 2020 को इसके लिए आदेश जारी किया था। 2 पूर्व मंत्रियों, विधायकों समेत 36 पर FIR छत्तीसगढ़ में कोयला घोटाले मामले में ED की रिपोर्ट पर ACB /EOW ने 2 पूर्व मंत्रियों, विधायकों सहित 36 लोगों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज की है। जिस पर अब ACB-EOW की टीम जांच कर रही है। इस मामले में IAS रानू साहू के अलावा IAS समीर विश्नोई, सौम्या चौरसिया, जेडी माइनिंग एसएस नाग और कारोबारी सूर्यकांत तिवारी को गिरफ्तार किया गया था।