ट्रम्प फिर बोले- भारत रूस से तेल नहीं खरीदेगा:कहा- मैंने पीएम मोदी से बात की; भारत फोन कॉल की बात नकार चुका है

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रविवार को एक बार फिर यह दावा किया कि भारत अब रूस से तेल का व्यापार नहीं करेगा। इससे पहले ट्रम्प ने बुधवार, 15 अक्टूबर को भी ऐसा ही दावा किया था। ट्रम्प ने अपने प्लेन में रिपोर्टरों से बात करते हुए कहा कि “मैंने भारत के प्रधानमंत्री मोदी से बात की और उन्होंने कहा है कि वे रूस के तेल का व्यापार नहीं करेंगे।” इस पर रिपोर्टर ने कहा कि भारत ने आपके और पीएम मोदी के बीच तेल खरीद को लेकर कोई कॉल होने से इनकार किया है। इसके जवाब में ट्रम्प ने कहा अगर वे ऐसा कहना चाहते हैं तो उन्हें भारी टैरिफ देना पड़ेगा और वे ऐसा नहीं करना चाहते। भारत ने ट्रम्प और मोदी में कॉल होने की बात नकारी भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने 16 अक्टूबर को प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि बुधवार को पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रम्प की कोई बातचीत नहीं हुई थी। ट्रम्प के दावे पर जायसवाल ने कहा, ‘भारत तेल और गैस का बड़ा खरीदार है। जनता के हितों की रक्षा करना हमारी प्राथमिकता रही है। हमारी आयात नीतियां इसी मकसद को पूरी करती हैं। ऊर्जा नीति के दो लक्ष्य हैं, पहला स्थिर कीमतें तय करना और दूसरा सुरक्षित आपूर्ति बनाए रखना।’ जायसवाल ने आगे कहा, ‘इसके लिए हम ऊर्जा स्रोतों को व्यापक बनाते हैं और बाजार स्थितियों के अनुसार विविधता लाते हैं। जहां तक अमेरिका का सवाल है, हम कई सालों से अपनी ऊर्जा खरीद का विस्तार करने का प्रयास कर रहे हैं। पिछले दशक में इसमें लगातार प्रगति हुई है।’ भारत पर प्रतिबंध का मकसद रूस पर दबाव बनाना अमेरिका ने रूस पर दबाव बनाने के लिए भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। ट्रम्प कई बार यह दावा कर चुके हैं कि, भारत के तेल खरीद से मिलने वाले पैसे से रूस, यूक्रेन में जंग को बढ़ावा देता है। ट्रम्प प्रशासन रूस से तेल लेने पर भारत के खिलाफ की गई आर्थिक कार्रवाई को पैनल्टी या टैरिफ बताता रहा है। ट्रम्प भारत पर अब तक कुल 50 टैरिफ लगा चुके हैं। इसमें 25% रेसीप्रोकल यानी जैसे को तैसा टैरिफ और रूस से तेल खरीदने पर 25% पैनल्टी है। रेसीप्रोकल टैरिफ 7 अगस्त से और पेनल्टी 27 अगस्त से लागू हुआ। व्हाइट हाउस प्रेस सचिव केरोलिना लेविट के मुताबिक इसका मकसद रूस पर सेकेंडरी प्रेशर डालना है, ताकि वह युद्ध खत्म करने पर मजबूर हो सके। सितंबर में भारत ने 34% तेल रूस से खरीदा ट्रम्प के दावे के बावजूद, रूस भारत का सबसे बड़ा तेल स्रोत बना हुआ है। कमोडिटी और शिपिंग ट्रैकर क्लेप्लर के आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर में ही नई दिल्ली ने आने वाले शिपमेंट का 34 फीसदी हिस्सा लिया। हालांकि, 2025 के पहले आठ महीनों में आयात में 10 फीसदी की गिरावट आई थी। एजेंसी के आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने 2025 के अगस्त महीने में रूस से औसतन 1.72 मिलियन बैरल प्रति दिन (bpd) कच्चा तेल आयात किया। वहीं, सितंबर में यह आंकड़ा थोड़ा घटकर 1.61 मिलियन bpd रह गया।) एक्सपर्ट्स के मुताबिक यह कटौती अमेरिकी दबाव और सप्लाई में डाइवरसीफिकेशन लाने के लिए की गई है। इसके विपरीत रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी जैसी निजी रिफाइनरी कंपनियों ने इसकी खरीद बढ़ा दी है। सरकारी रिफाइनरियों ने रूसी आयात में कमी की सरकारी कंपनियां (जैसे IOC, BPCL, HPCL) ने रूसी तेल आयात 45% से ज्यादा घटाया। जून में 1.1 मिलियन bpd से सितंबर में घटकर 600,000 bpd रह गया। वहीं, प्राइवेट रिफाइनरीयां (रिलायंस इंडस्ट्रीज: 850,000 bpd, नयारा एनर्जी: ~400,000 bpd) ने इसे संतुलित किया, जिससे कुल आपूर्ति पर असर नहीं पड़ा। रूस से सस्ता तेल खरीदने की शुरुआत कैसे हुई? फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद यूरोप ने रूसी तेल पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके बाद रूस ने अपने तेल को एशिया की ओर मोड़ा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत ने 2021 में रूसी तेल का सिर्फ 0.2% आयात किया था। 2025 में यह भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया। औसतन 1.67 मिलियन बैरल प्रति दिन की आपूर्ति कर रहा है। यह भारत के कुल जरूरत का करीब 37% है। भारत रूस से तेल खरीदना क्यों नहीं बंद करता?
भारत को रूस से तेल खरीदने के कई डायरेक्ट फायदे हैं… भारत के पास रूस के अलावा किन देशों से तेल खरीदने के विकल्प हैं?
भारत अपनी तेल जरूरतों का 80% से ज्यादा इम्पोर्ट करता है। ज्यादातर तेल रूस के अलावा इराक, सऊदी अरब और अमेरिका जैसे देशों से खरीदता है। अगर रूस से तेल इम्पोर्ट बंद करना है तो उसे इन देशों से अपना इम्पोर्ट बढ़ाना होगा… ——————————- ये खबर भी पढ़ें… 1. पेट्रोलियम मंत्री बोले- पेट्रोल-डीजल के दाम घट सकते हैं: अगर कच्चे तेल की कीमत 65 डॉलर प्रति बैरल रही तो 2-3 महीने में कटौती संभव देश में पेट्रोल-डीजल के दाम कम हो सकते हैं। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि अगर कच्चे तेल की कीमत लंबे समय तक 65 डॉलर प्रति बैरल पर बनी रहती हैं, तो उम्मीद कर सकते हैं कि अगले 2-3 महीनों में पेट्रोल-डीजल के दाम में कटौती हो। ये बात उन्होंने दिल्ली में चल रही ‘ऊर्जा वार्ता 2025’ में कही। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि यह स्थिर स्थिति पर निर्भर करता है। अगर कोई बड़ा भू-राजनीतिक घटनाक्रम, जैसे ईरान-इजराइल तनाव होता है, तो स्थिति बदल सकती है। दरअसल, तेल की कीमतें हाल 65 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई हैं, जिससे ऑयल मार्केटिंग कंपनियों मुनाफा बढ़ रहा है। ऐसे में सरकार पेट्रोल-डीजल के दाम घटाकर जनता को राहत दे सकते हैं। पूरी खबर पढ़ें… 2. ट्रम्प बोले-सुना है भारत रूस से तेल खरीदना बंद करेगा: रिपोर्ट में दावा- भारत अभी भी मास्को से तेल ले रहा अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने शुक्रवार को कहा कि ऐसी खबरें हैं कि भारत ज्यादा दिन तक रूस से तेल नहीं खरीदेगा। हालांकि, उन्होंने कहा कि उन्हें इन खबरों के सही होने की जानकारी नहीं है। लेकिन अगर ऐसा होता है तो यह अच्छी बात होगी। आगे देखते हैं कि क्या होता है। इससे पहले रॉयटर्स की रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि भारत ने अमेरिकी दबाव और कीमत बढ़ने की वजह से रूस से तेल खरीदना लगभग बंद कर दिया है। इसके बाद शुक्रवार शाम भारतीय विदेश मंत्रालय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। हालांकि, इसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया कि इस दावे में कितनी सच्चाई है। पूरी खबर पढ़ें…

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