लंदन की मशहूर टेम्स नदी में एक भारतीय युवक के पैर धोने से विवाद छिड़ गया है। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है। कुछ रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया है कि उसने नदी में नहाने की भी कोशिश की थी। टेम्स नदी लंदन की पहचान मानी जाती है और इसके किनारे संसद भवन, लंदन आई और टावर ब्रिज जैसी मशहूर जगहें हैं। जब यह वीडियो इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर सामने आया, तो लोगों की तीखी प्रतिक्रियाएं दी। एक सोशल मीडिया यूजर ने कहा कि गंगा-यमुना काफी नहीं थीं, अब टेम्स को भी वैसा बनाना चाहते हो। एक अन्य ने लिखा कि इंडियन आदमी टेम्स में पैर धो रहा है, लोग नाराज हैं। ये कैसी हरकतें हैं?
लोगों ने पूछा- आखिर इसमें दिक्कत क्या है कई सोशल मीडिया यूजर्स ने युवक के सपोर्ट में भी ट्वीट किए हैं। एक यूजर ने लिखा कि पैर धोने में आखिर समस्या क्या है।सम्मान के साथ पूछ रहा हूं, इसमें दिक्कत क्या है? एक यूजर ने पूछा- क्या पानी में पैर डालना गैरकानूनी है? एक यूजर ने लिखा कि नदी का रंग ही बता रहा है कि इसमें कुछ भी धोना ठीक नहीं। दूसरे ने मजाक में कहा- भाई, पैर मत धोओ, लोग यही पानी पीते हैं। लंदन के बीच से गुजरती है टेम्स टेम्स नदी लंदन शहर के बीच से गुजरती है और सदियों से शहर के विकास, व्यापार और परिवहन का मुख्य आधार रही है। रोमन साम्राज्य के समय से ही यह नदी महत्वपूर्ण रही है। लंदन शहर की स्थापना भी इसी नदी के किनारे हुई थी। टेम्स नदी पर लंदन ब्रिज, टॉवर ब्रिज, वेस्टमिंस्टर पैलेस, लंदन आई और टेम्स बैरियर जैसे फेमस ब्रिज हैं। नदी के किनारे कला, संगीत, थियेटर और त्योहारों से जुड़ी कई एक्टिविटी होती हैं। टेम्स पर की जाने वाली क्रूज यात्राएं लंदन के प्रमुख आकर्षणों में से हैं। नदी में फैले प्रदूषण पर भी चर्चा शुरू इस विवाद के बीच, नदी की सफाई और प्रदूषण पर भी चर्चा शुरू हो गई। ‘द गार्जियन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, टेम्स नदी के कई हिस्सों में ई.कोली बैक्टीरिया और सीवेज के प्रदूषण की मात्रा काफी बढ़ गई है। जांच में यह भी पाया गया कि नदी में गीले वाइप्स और प्लास्टिक का कचरा जमा होकर वेट वाइप आइलैंड्स जैसी बड़ी ढेरियां बन चुकी हैं। ऐसा ही एक बड़ा ढेर हेमरस्मिथ ब्रिज के पास मिला है। ब्रिटेन में 80% भारतीयों को भेदभाव झेलना पड़ा भारतीय समुदाय को दुनिया भर में पिछले कुछ सालों से लगातार नस्लीय भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। पिछले साल लंदन के मेयर सादिक खान ने दीवाली की बधाई देते हुए वीडियो शेयर किया था, इस पर भारतीयों को निशाना बनाते हुए कई नस्लीय कमेंट किय गए थे।
ब्रिटिश संसद में 2021 में पेश एक प्रस्ताव में कहा गया था कि ब्रिटेन में 80% भारतीयों को अपने भारतीय होने के कारण भेदभाव झेलना पड़ता है, जिसमें हिंदूफोबिया सबसे ज्यादा पाया गया। भारतीय के खिलाफ सोशल मीडिया पर भी नफरत बढ़ी साल 2025 की शुरुआत से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर भारतीयों के खिलाफ नस्लीय भेदभाव और नफरत में तेज बढ़ोतरी दर्ज की गई है। अमेरिका के सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ ऑर्गनाइज हेट की रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई से सितंबर 2025 के बीच कुल 680 हाई-इंगेजमेंट पोस्ट की गई, जिन्हें मिलाकर 281 मिलियन व्यूज मिले। इनमें 70% से ज्यादा में भारतीयों के खिलाफ जॉब थीफ, इन्वेडर और डिपोर्ट करो जैसे पोस्ट किए गए। 12 अगस्त 2025 को फ्लोरिडा में एक सिख ट्रक ड्राइवर के कारण हुए दुर्घटना में 3 लोगों की मौत हुई। इस घटना को कई खातों ने बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया और भारतीयों व सिखों के खिलाफ नफरत फैलाने का जरिया बनाया। सिर्फ इस घटना से जुड़े 74 पोस्टों को 94.9 मिलियन व्यूज मिले। ———————- यह खबर भी पढ़ें… जबरन नसबंदी केस में डेनमार्क PM ने माफी मांगी:60 साल पहले महिलाओं को जबर्दस्ती गर्भनिरोधक डिवाइस लगाई गई थी डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने बुधवार को ग्रीनलैंड की महिलाओं से 60 पहले जबर्दस्ती की गई नसबंदी के लिए माफी मांगी है। इस नसबंदी का मकसद ग्रीनलैंड की जनसंख्या कंट्रोल करना था, जिसे अब नस्लीय भेदभाव का प्रतीक माना जाता है। ग्रीनलैंड, डेनमार्क का ही एक स्वायत्त क्षेत्र है, जिसका अपना पीएम है। यहां पढ़ें पूरी खबर…
