Pradosh Vrat 2025 November: सोम प्रदोष पर भगवान शिव-माता पार्वती देंगे आशीर्वाद, बस इस कथा का पाठ करें, दूर होंगे सभी कष्ट

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हिंदू धर्म में व्रत-त्योहारों का अधिक महत्व है। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है और बहुत ज्यादा महत्व माना जाता है। प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। जब प्रदोष व्रत की तिथि सोमवार को आती है, तो इसका शुभ फल और भी अधिक हो जाता है। इस साल सोम प्रदोष व्रत 17 नवंबर 2025 यानी आज पड़ रहा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन प्रदोष काल शिव-पार्वती की पूजा के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। मान्यता है कि इस दौरान पूजा करने और प्रदोष व्रत कथा का पाठ करने से जीवन के सभी दुख, रोग और दरिद्रता दूर होती है। आइए आपको प्रदोष व्रत कथा का पाठ करते हैं।
 
सोम प्रदोष व्रत की पावन कथा
एक समय की बात है। एक नगर में एक बहुत ही निर्धन व धर्मपरायण ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नि काफी सुंदर और सुशील थी। गरीबी के कारण ब्राह्मण दंपत्ति भिक्षा मांगकर अपना जीवन चला रहे थे। एक दिन भीख मांगते समय ब्राह्मण को रास्ते में एक घायल राजकुमार मिला। वह विदर्भ देश का राजकुमार था, जिसके पिता की हत्या कर शत्रुओं ने उसका राज्य हड़प लिया था। ब्राह्मण दंपत्ति उसे अपने घर ले आए और पूरी श्रद्धा से उसकी सेवा-देखभाल की। कुछ दिन बाद ब्राह्मण, उसकी पत्नी और राजकुमार भिक्षा के लिए नगर की ओर जा रहे थे कि रास्ते में उन्हें एक संत मिले। संत ने बताया कि आज सोम प्रदोष व्रत है और इस दिन विधि-विधान से शिवजी की पूजा करने से सभी दुख दूर होते हैं और दरिद्रता समाप्त होती है। जिसके बाद ब्राह्मण दंपत्ति और राजकुमार ने संत के द्वारा बताएं गए, सोम प्रदोष व्रत रखा और प्रदोष काल में भगवान शिव की विधिवत पूजा की। उन्होंने यह व्रत पूरी निष्ठा और श्रद्धा से किया। प्रदोष व्रत के प्रभाव से राजकुमार को दोबारा से अपने राज्य को पाने में सफल रहा। जिसके बाद उसने ब्राह्मण दंपति को बहुत सारा धन और संपत्ति देकर उनका जीवन सुखी बना दिया।
प्रदोष कथा पाठ के लाभ
सोम प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करने से जीवन में चल रही सभी बांधाएं दूर हो जाती है। जिस तरह से ब्राह्मण दंपति की गरीबी दूर हुई, उसी तरह से इस कथा का पाठ करने से साधक के घर में भी सुख-समृद्धि आती है। जो लोग सच्चे मन से यह व्रत और इसकी कथा का पाठ करते है, उनकी सभी इच्छाएं भगवान शिव और माता पार्वती पूरा करती है। 

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