पाकिस्तान ने एक बार फिर चीन के अरुणाचल प्रदेश पर दावे का खुलकर समर्थन किया है। शुक्रवार को पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ताहिर अंद्राबी ने 5 दिसंबर को प्रेस ब्रीफिंग में कहा, ‘चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता से जुड़े हर मुद्दे पर पाकिस्तान का लगातार और पूरा समर्थन चीन के साथ है।’ अरुणाचल प्रदेश पर चीनी विदेश मंत्रालय के दिए गए बयानों के सवाल पर अंद्राबी ने यह बात कही। चीन ने 25 नवंबर को अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताया था। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा था कि जांगनान (अरुणाचल प्रदेश) हमारा हिस्सा है। उन्होंने कहा कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश को कभी भारत का हिस्सा नहीं माना। चीन का यह बयान भारतीय महिला पेम वांगजॉम थांगडॉक के साथ शंघाई एयरपोर्ट पर बदसलूकी के आरोपों के सवाल पर आया था। चीन ने पेम के साथ बदसलूकी के आरोपों को भी नकार दिया था। चीन के इस बयान पर भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा- अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है। चीन चाहे जितना भी इनकार करे, सच्चाई नहीं बदल सकती। अरुणाचल पर चीन अपना दावा करता है चीन ने कभी अरुणाचल प्रदेश को भारत के राज्य के तौर पर मान्यता नहीं दी है। वो अरुणाचल को ‘दक्षिणी तिब्बत’ का हिस्सा बताता है। उसका आरोप है कि भारत ने उसके तिब्बती इलाके पर कब्जा करके उसे अरुणाचल प्रदेश बना दिया है। चीन अरुणाचल के इलाकों के नाम क्यों बदलता है, इसका अंदाजा वहां के एक रिसर्चर के बयान से लगाया जा सकता है। 2015 में चाइनीज एकेडमी ऑफ सोशल साइंस के रिसर्चर झांग योंगपान ने ग्लोबल टाइम्स को कहा था, ‘जिन जगहों के नाम बदले गए हैं वो कई सौ सालों से चीन के पास हैं। चीन का इन जगहों का नाम बदलना बिल्कुल जायज है। पुराने समय में जांगनान ( चीन में अरुणाचल को दिया नाम) के इलाकों के नाम केंद्रीय या स्थानीय सरकारें ही रखती थीं। इसके अलावा इलाके के जातीय समुदाय जैसे तिब्बती, लाहोबा, मोंबा भी अपने अनुसार जगहों के नाम बदलते रहते थे। जब जैंगनेम पर भारत ने गैर कानूनी तरीके से कब्जा जमाया तो वहां की सरकार ने गैर कानूनी तरीकों से जगहों के नाम भी बदले। झांग ने ये भी कहा था कि अरुणाचल के इलाकों के नाम बदलने का हक केवल चीन को होना चाहिए। चीन ने अरुणाचल की महिला का पासपोर्ट इनवैलिड बताया था चीन ने अरुणाचल में जन्मी महिला का पासपोर्ट इनवैलिड बताया था। चीनी अधिकारियों ने कहा कि ये राज्य चीन का हिस्सा और उन्हें चीनी पासपोर्ट के लिए अप्लाई करना चाहिए। दरअसल, 21 नवंबर को ब्रिटेन में रहने वाली भारतीय मूल की महिला पेम वांगजॉम थांगडॉक लंदन से जापान जा रही थीं। शंघाई पुडोंग एयरपोर्ट पर उनका 3 घंटे का ट्रांजिट था। बीच में चीन के शंघाई एयरपोर्ट पर चीनी इमिग्रेशन अधिकारियों ने उन्हें घंटों तक रोके रखा और तंग किया। पेम ने आरोप लगाया कि इमिग्रेशन काउंटर पर अधिकारियों ने उनका पासपोर्ट ‘इनवैलिड’ बता दिया और कहा कि अरुणाचल प्रदेश चीन का हिस्सा है। उनसे 18 घंटे पूछताछ की गई और उनका मजाक उड़ाया गया। पेम ने पीएम मोदी और दूसरे सीनियर अधिकारियों को इससे जुड़ी शिकायती चिट्ठी लिखी है और इस बर्ताव को भारत की संप्रभुता और अरुणाचल प्रदेश के नागरिकों का अपमान बताया है। इसके बाद भारत ने चीन के सामने मामले को लेकर कड़ा विरोध दर्ज कराया। अरुणाचल प्रदेश को चीन इतना अहम क्यों मानता है? अरुणाचल प्रदेश पूर्वोत्तर का सबसे बड़ा राज्य है। नॉर्थ और नॉर्थ वेस्ट में तिब्बत, वेस्ट में भूटान और ईस्ट में म्यांमार के साथ यह अपनी सीमा साझा करता है। अरुणाचल प्रदेश को पूर्वोत्तर का सुरक्षा कवच कहा जाता है। चीन का दावा तो पूरे अरुणाचल पर है, लेकिन उसकी जान तवांग जिले पर अटकी है। तवांग अरुणाचल के नॉर्थ-वेस्ट में हैं, जहां पर भूटान और तिब्बत की सीमाएं हैं। मई में चीन ने अरुणाचल की 27 जगहों के नाम बदले थे चीन ने इसी साल मई में अरुणाचल की 27 जगहों के नाम बदले हैं। इनमें 15 पहाड़, 5 कस्बे, 4 पहाड़ी दर्रे, 2 नदियां और एक झील शामिल है। चीन ने ये लिस्ट अपनी सरकारी वेबसाइट ग्लोबल टाइम्स पर जारी भी की थी। इन जगहों के नाम मैंडेरिन (चीनी भाषा) में रखे गए हैं। दावा है कि बीते 8 सालों में चीन ने अरुणाचल की 90 से ज्यादा जगहों के नाम बदले हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने चीन के नाम बदलने की हरकत को मूर्खतापूर्ण बताया था। उन्होंने कहा था- इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। अरुणाचल भारत का अटूट हिस्सा है। दावा जताने के लिए शहरों, गांवों के नाम बदलता चीन चीन अरुणाचल में अपना दावा जताने की कोशिश में इसके शहरों, गांवों, नदियों आदि के नाम बदलता रहा है। इसके लिए वह चीनी, तिब्बती और पिनयिन नाम देता है, लेकिन जब भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का रुतबा बढ़ रहा होता है ठीक उसी समय चीन की यह हरकत सामने आती है। 2023 में भारत ने G-20 शिखर सम्मेलन के समय एक बैठक अरुणाचल में की थी तब भी चीन ने इस क्षेत्र में कुछ नाम बदलने की घोषणा की थी। इससे पहले 2017 में दलाई लामा जब अरुणाचल आए थे तब भी नाम बदलने की हरकत की थी। 2024 में भी 20 जगहों के नाम बदले थे चीन ने अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा बताकर 30 जगहों के नाम बदले थे। चीन की सिविल अफेयर मिनिस्ट्री ने इसकी जानकारी दी थी। हांगकांग मीडिया हाउस साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, इनमें से 11 रिहायशी इलाके, 12 पर्वत, 4 नदियां, एक तालाब और एक पहाड़ों से निकलने वाला रास्ते थे। इन नामों को चीनी, तिब्बती और रोमन में जारी किया गया था। चीन ने अप्रैल 2023 में अपने नक्शे में अरुणाचल प्रदेश की 11 जगहों के नाम बदल दिए थे। इसके पहले 2021 में चीन ने 15 जगहों और 2017 में 6 जगहों के नाम बदले थे। क्या सच में नाम बदल जाएंगे? इसका जवाब है- नहीं। दरअसल, इसके लिए तय रूल्स और प्रॉसेस है। अगर किसी देश को, किसी जगह का नाम बदलना है तो उसे UN ग्लोबल जियोग्राफिक इन्फॉर्मेशन मैनेजमेंट को पहले से जानकारी देनी होती है। इसके बाद, UN के जियोग्राफिक एक्सपर्ट उस इलाके का दौरा करते हैं। इस दौरान प्रस्तावित नाम की जांच की जाती है। स्थानीय लोगों से बातचीत की जाती है। तथ्य सही होने पर नाम बदलने को मंजूरी दी जाती है और इसे रिकॉर्ड में शामिल किया जाता है। ————————– ये खबर भी पढ़ें… चीन ने अरुणाचल में जन्मी महिला का पासपोर्ट इनवैलिड बताया: कहा- ये राज्य चीन का हिस्सा; महिला ने मोदी से शिकायत की; भारत ने विरोध जताया ब्रिटेन में रहने वाली भारतीय मूल की महिला पेम वांगजॉम थांगडॉक ने आरोप लगाया है कि चीन के शंघाई एयरपोर्ट पर चीनी इमिग्रेशन अधिकारियों ने उन्हें घंटों तक रोके रखा और तंग किया। पूरी खबर पढ़ें…
