क्या शनिदेव का व्रत है जरूरी? जानें 2025 में व्रत रखने के सटीक नियम और फायदे

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शनिदेव के कर्मफल दाता यानी कर्मों का फल देने वाला देवता माना जाता है। सभी ग्रहों में शनि धीरे गति में गोचर करते हैं। शनिदेव की दृष्टि पड़ने से अशुभ प्रभाव देखने को मिलते हैं। जातक के कर्म के अनुसार ही शनिदेव फल देते हैं इसलिए इन्हें न्यायप्रिय देवता माना जाता है। जो व्यक्ति श्रद्धा और सच्चे मन से शनिवार का व्रत रखते हैं उनके जीवन से शनि के अशुभ प्रभाव जैसे साढ़ेसाती, ढैय्या या शनि की महादशा के कष्ट कम होते हैं। शनिदेव का व्रत रखने से व्यक्ति को न्याय मिलता है, जीवन में अनुशासन आता है और स्वास्थ्य तथा धन संबंधी बाधाएं दूर होती हैं। इस व्रत को रखने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने का सबसे आसान तरीका है जिससे जीवन में सुख-शांति और स्थिरता आती है। यही कारण है कि अधिकत्तर लोग शनिवार का या शनिवार के दिन शनिदेव का व्रत रखते हैं। आइए आपको बताते हैं शनिदेव का व्रत कैसे रखें?
 
क्या शनिदेव के लिए व्रत रखना सही है?
शनिदेव के व्रत उन व्यक्ति के लिए विशेष रुप से सही और आवश्यक माना जाता है जिनकी कुंडली में शनि की स्थिति कमजोर है या शनि की महादशा से गुजर रहे हैं।
इस व्रत करने से शनि के अशुभ प्रभाव कम होते हैं, बल्कि मानसिक शांति और आंतरिक शक्ति भी प्रदान करते हैं। व्रत रखने का मुख्य उद्देश्य शनिदेव से अपने कर्मों के लिए क्षमा मांगना और धर्म के मार्ग पर चलने का संकल्प लेना जरुरी है। यह व्रत आपकी बुरी आदतें को दूर करने और गरीबों व असहायों की मदद करने के लिए प्रेरित करता है, जो स्वयं शनिदेव के सिद्धांतों का मूल है। 
शनिवार के व्रत-पूजा से जुड़े नियम
– शनिवार के व्रत और पूजा में कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना काफी जरुरी है। शनिवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। पूजा के दौरान काले या नीले रंग के वस्त्र पहनना चाहिए। 
– शनिदेव की पूजा हमेशा पश्चिम दिशा की ओर मुख करके करनी चाहिए, क्योंकि उन्हें पश्चिम दिशा का स्वामी माना जाता है। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और ‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’ मंत्र का जाप करें।
– शनिदेव को सरसों का तेल, काला तिल, नीले फूल और काले वस्त्र अर्पित करें। इन्हें भोग में गुड़ और तिल से बनी वस्तुएं, काले चने या उड़द दाल की खिचड़ी चढ़ाई जाती है।
– दिनभर व्रत रखें। इस दिन कुछ लोग सिर्फ फलाहार करते हैं, जबकि कुछ लोग शाम को पूजा के बाद एक समय नमक रहित भोजन करते हैं। व्रत में नमक का सेवन न करने का प्रयास करें। 
– शनिवार के दिन काले कंबल, सरसों का तेल, काला तिल, जूते या लोहे की वस्तुएं किसी गरीब या जरुरतमंद व्यक्ति को दान करना शनिदेव को अति प्रिय है। शनिवार को लोहा, तेल और चमड़े की चीजें खरीदना अशुभ माना जाता है। 
– यह माना जाता है कि शनिदेव को तेल चढ़ाने के लिए उसी दिन तेल खरीदना वर्जित होता है, इसलिए इसे एक दिन पहले ही खरीद लेना चाहिए। पौराणिक कथा के अनुसार, शनिदेव ने हनुमान जी को वचन दिया था कि वे उनके भक्तों को कभी कष्ट नहीं देंगे। इसी कारण शनिवार के दिन हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करना शनि के अशुभ प्रभावों को दूर करने का सबसे प्रभावी उपाय माना जाता है।

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