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Monday, December 23, 2024

सुप्रीम कोर्ट ने मदरसा एक्ट बरकरार रखा:कहा, ‘इसे खत्म करना बच्चे को पानी के साथ फेंकने जैसा’; कामिल-फाजिल की डिग्रियां असंवैधानिक

उत्तर प्रदेश में मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश मदरसा एक्ट की वैधता को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को पलट दिया है, जिसमें एक्ट को रद्द करते हुए कहा गया था कि यूपी का मदरसा एक्ट धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने मदरसों से मिलने वाली कामिल और फाजिल की डिग्रियों को भी असंवैधानिक करार दिया है। खबर में जानेंगे कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा है, मदरसा कानून क्या है, हाईकोर्ट ने इसे असंवैधानिक क्यों बताया था और अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मदरसे की पढ़ाई में क्या बदलाव आएगा… सरकार का नियंत्रण लाने के लिए लाया गया मदरसा एक्ट साल 2004 में उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की सरकार के समय मदरसा एजुकेशन एक्ट लाया गया था। एक्ट के तहत उत्तर प्रदेश में मदरसे खोलने, उनको मान्यता देने और मदरसों के प्रशासन के लिये एक फ्रेमवर्क बनाया गया। इसके बाद मदरसों की गतिविधियों की देखरेख और निगरानी के लिए उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड की स्थापना की गई। बोर्ड से मान्यता प्राप्त करने के लिए कुछ एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया तय किए गए थे। बोर्ड मदरसों के लिए सिलेबस तैयार करने, टीचिंग मटेरियल और टीचर्स को ट्रेनिंग देने का काम करता था। मदरसा एक्ट के खिलाफ कोर्ट में याचिका, 5 प्रमुख समस्याएं बताई गईं मदरसा एक्ट के खिलाफ सबसे पहले 2012 में दारुल उलूम वारसिया नाम के मदरसे के मैनेजर सिराजुल हक ने याचिका दाखिल की थी। फिर 2014 में यूपी सरकार के माइनॉरिटी वेलफेयर डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी अब्दुल अजीज और 2019 में लखनऊ के मोहम्मद जावेद ने याचिका दायर की थी। इसके बाद 2020 में रैजुल मुस्तफा ने दो याचिकाएं दाखिल की थीं। 2023 में अंशुमान सिंह राठौर ने याचिका दायर की। राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (NCPCR) का भी कहना था कि भले ही किसी को धार्मिक शिक्षा लेने का अधिकार है लेकिन इसे मुख्यधारा की पढ़ाई के विकल्प के तौर पर नहीं स्वीकार किया जा सकता। इन सभी मामलों का नेचर एक था। इसलिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सभी याचिकाओं को एक साथ शामिल करके सुनवाई की। इन याचिकाओं में इन 5 पॉइंट्स को लेकर एक्ट का विरोध किया गया- यूपी सरकार की अवैध मदरसों की जांच से मामले ने तूल पकड़ा यूपी सरकार का कहना था कि इसे सुरक्षा एजेंसियों से इनपुट मिले हैं कि अवैध तरीके से मदरसों का संचालन किया जा रहा है। इस आधार पर उत्तर प्रदेश परिषद और सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय ने सर्वे कराने का फैसला लिया। इसके बाद हर जिले में 5 सदस्यीय टीम बनाकर10 सितंबर 2022 से 15 नवंबर 2022 तक मदरसों का सर्वे कराया गया था। इस टाइम लिमिट को बाद में 30 नवंबर तक बढ़ाया गया। सर्वे में प्रदेश में करीब 8,441 मदरसे ऐसे मिले, जिनकी मान्यता नहीं थी। अक्टूबर 2023 में यूपी सरकार ने SIT का गठन किया था। SIT मदरसों को कथित विदेशी फंडिंग की जांच कर रही है। उत्तर प्रदेश में फिलहाल 25 हजार मदरसे हैं। इनमें से लगभग 16,500 मदरसों को राज्य मदरसा शिक्षा परिषद् से मान्यता मिली हुई है। इनमें से 560 मदरसे ऐसे भी हैं, जिन्हें सरकारी अनुदान मिलता है। हाईकोर्ट ने मदरसा एक्ट को असंवैधानिक करार दिया 22 मार्च 2024 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने याचिकाओं पर सुनवाई के बाद मदरसा एजुकेशन एक्ट को असंवैधानिक घोषित करते हुए रद्द कर दिया था। कोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा था कि यह एक्ट धर्मनिरपेक्षता, भारतीय संविधान के आर्टिकल 14 ,15 (समानता का अधिकार) और 21-A (शिक्षा का अधिकार) के खिलाफ है।हाई कोर्ट ने कहा, मदरसा बोर्ड ने बच्चों की शिक्षा को लेकर भेदभाव किया है। जब सभी धर्मों के बच्चों को हर सब्जेक्ट में मॉडर्न एजुकेशन मिल रही है, तो विशेष धर्म के बच्चों को मदरसे की शिक्षा तक सीमित नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को मदरसों के बच्चों को मान्यता प्राप्त स्कूलों में ट्रांसफर करने के लिए योजना बनाने के निर्देश भी दिए। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ एक और मदरसे- अजीजिया इजाजुतूल उलूम के मैनेजर अंजुम कादरी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। 5 अप्रैल, 2024 को सुप्रीम कोर्ट में पहली बार सुनवाई हुई। कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। कोर्ट ने कहा था, हाईकोर्ट प्रथम दृष्टया सही नहीं है। ये कहना गलत है कि मदरसा एक्ट धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन करता है। मदरसों के छात्रों को दूसरे स्कूल में ट्रांसफर करने का निर्देश देना भी ठीक नहीं है। देश में धार्मिक शिक्षा कभी भी अभिशाप नहीं रही है। बौद्ध भिक्षुओं को कैसे प्रशिक्षित किया जाता है? यूपी सरकार ने भी हाईकोर्ट में मदरसा एक्ट का बचाव किया था। तब कोर्ट ने कहा था- धर्मनिरपेक्षता का मतलब है, ‘जियो और जीने दो। अगर सरकार कहती है कि मदरसे के बच्चों को धर्मनिरपेक्ष शिक्षा भी दी जाए तो यह देश की भावना है।’ 22 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई और कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। मदरसा एक्ट संवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की 2 गलतियां बताईं 5 नवंबर 2004 को CJI डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने अपना फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट के फैसले में 2 गलतियां बताईं… अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ ही मदरसे कामिल और फाजिल की डिग्री भी नहीं दे सकेंगे। कोर्ट के फैसले के मुताबिक, मदरसे 12वीं तक के अपने सर्टिफिकेट दे सकते हैं, लेकिन कामिल और फाजिल की डिग्री नहीं दे सकेंगे। एजुकेशन से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… ईरान में अंडरवियर पहने छात्रा को हिरासत में लिया:यूनिवर्सिटी कैंपस में हिजाब का विरोध कर रही थी; कॉलेज ने मानसिक बीमार बताया सोशल मीडिया पर ईरान की एक यूनिवर्सिटी का एक वीडियो वायरल है, जिसमें अंडर गारमेंट्स पहने एक युवती को गार्ड्स हिरासत में ले रहे हैं। कहा जा रहा है कि युवती ने ईरान के सख्त ड्रेस कोड (हिजाब पहनने की अनिवार्यता) का विरोध करने के लिए अपने कपड़े उतारे हैं। पूरी खबर पढ़िए..

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