व्यक्ति के जीवन पर ग्रहों की दशा और दिशा पर गहरा प्रभाव पड़ता है। नव ग्रहों की चाल से व्यक्ति के जीवन में शुभ और अशुभ परिणाम देखने को मिलते हैं। तो वहीं कुछ ग्रहों को पापी ग्रह भी माना जाता है। इनमें से राहु ग्रह को भी अशुभ माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि राहु ग्रह भी शुभ फल प्रदान करता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि राहु ग्रह कब शुभ फल देता है। क्योंकि जब राहु की चाल बदलती है, तो इसका प्रभाव आपके जीवन पर देखने को मिलता है।
Astrology Tips: अशुभता का सूचक राहू कब-कब देता है शुभ फल, जानिए क्या कहता है ज्योतिष शास्त्र
कब शुभ होता है राहु
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक कुंडली के अलग-अलग भावों में राहु मौजूद होता है, तो उसके स्थान में बदलाव आते हैं। उन बदलावों के कारण ही जीवन में राहु शुभ फल देना शुरू करता है।
जब कुंडली या फिर किसी राशि में स्वाति, आद्रा और शतभिषा नक्षत्र का निर्माण होता है, तब कुंडली में बैठा राहु शुभता प्रदान करता है। क्योंकि वैदिक ज्योतिष के हिसाब से इन तीनों ही नक्षत्रों का स्वामी राहु है।
इसके साथ ही जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा होता है और चंद्रमा का मुंह सूर्य की तरफ होता है। जब उसकी छाया पृथ्वी पर पड़ती है, तो उस छाया का राहु ग्रह प्रतिनिधित्व करता है।
चंद्रमा जिस भी राशि की कुंडली में मजबूत होता है, उस राशि के जातकों को राहु की तरफ से शुभ फल मिलने लगते हैं। वहीं 42 साल की उम्र के बाद से राहु ग्रह अच्छा फल देता है।
इसके अलावा मिथुन राशि के जातकों को राहु ग्रह हमेशा शुभ फल देता है। क्योंकि मिथुन राशि में राहु उच्च स्थान पर होता है, जबकि धनु राशि में यह ग्रह नीच स्थान पर होता है।
इसी वजह से धनु राशि के व्यक्तियों को अपने इष्टदेव के अलावा भगवान शिव की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। क्योंकि एकमात्र भगवान शिव जी हैं, जो राहु को कंट्रोल कर उसको शुभ स्थान पर ला सकते हैं।
जब कुंडली में राहु मजबूत होता है, तब जातक को वैभवता, धन-ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि आदि की प्राप्ति होती है। राहु व्यक्ति को रंक से राजा बना देता है और व्यक्ति को अपार सफलता मिलती है।