छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना और अन्नपूर्णा योजना के तहत गरीबों को मिलने वाला चावल कथित रूप से मतांतरण के लिए इस्तेमाल हो रहा है। आरोप है कि मिशनरियां हर मतांतरित परिवार से रोजाना एक मुट्ठी चावल इकट्ठा कर उसे बाजार में बेच रही हैं, जिससे सालाना 100 करोड़ रुपये से अधिक की रकम जुटाई जा रही है।