धार्मिक मान्यता के अनुसार, रुद्राक्ष की उत्पति भगवान शंकर की आंखों के जलबिंदू से हुई है। इसके धारण करने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। रुद्राक्ष एक फल की गुठली है, ज्यादातर इसका इस्तेमाल आध्यात्मिक क्षेत्र में किया जाता है। मान्यता है कि रुद्राक्ष भगवान शिव का वरदान है, जो संसार के भौतिर दुःखों को दूर करने के लिए भगवान शिव ने उत्पन्न किया। ऐसे में बाजार में कई रुद्राक्ष उपलब्ध हैं, लेकिन यह तय करना मुश्किल हो सकता है कि वे असली हैं या नकली। अक्सर लोग असली समझकर नकली रुद्राक्ष खरीद लेते हैं। इस गलती से बचने के लिए जानिए कैसे पहचान सकते हैं कि रुद्राक्ष नकली है या असली। बाज़ार में विभिन्न प्रकार के रुद्राक्ष उपलब्ध हैं, जैसे पंचमुखी और एकमुखी रुद्राक्ष, और उनमें से अधिकांश नेपाल से आते हैं।
असली रुद्राक्ष की पहचान कैसे करें
-प्रत्येक रुद्राक्ष के साथ आने वाला कार्ड प्रयोगशाला परीक्षण की गारंटी और प्रमाण के रूप में कार्य करता है। कार्ड में एक बारकोड शामिल होता है, जिसे स्कैन करने पर रुद्राक्ष के बारे में पूरी जानकारी मिलती है, जैसे ग्राम में उसका वजन।
-वो जो भी रुद्राक्ष बेचते हैं, वे नेपाल से मंगाए जाते हैं और बेचने से पहले हरिद्वार में प्रयोगशाला परीक्षण से गुजरते हैं। यह सुनिश्चित करते हैं कि ग्राहकों को केवल पूरी तरह से सत्यापित रुद्राक्ष ही दिए जाएं।
-यदि आप प्रामाणिक रुद्राक्ष की तलाश में हैं, तो आप मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि पर स्थित शुभम् श्रृंगार केंद्र पर जा सकते हैं।