छत्तीसगढ़ की मस्जिदों में जुमे की नमाज (शुक्रवार की नमाज) के बाद होने वाली तकरीर (बातचीत) के टॉपिक के लिए वक्फ बोर्ड की इजाजत लेनी होगी। टॉपिक विवादित ना हो, इसलिए छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के सदस्यों ने यह निर्णय लिया है। मुतवल्ली (मस्जिद की संपत्ति का प्रबंध करने वाला) इस नियम का पालन नहीं करेगा, उसके खिलाफ लीगल एक्शन लिया जाएगा। छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सलीम राज ने इस संबंध में मौखिक निर्देश जारी किए हैं। इस पर सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि अब भाजपाई हमें बताएंगे की दीन क्या है? अब अपने दीन पर चलने के लिए इनसे इजाज़त लेनी होगी? वहीं इस पर CM साय के मीडिया सलाहकार पंकज कुमार झा ने ओवैसी पर तंज किया है। उन्होंने कहा कि मियां वक्फ बोर्ड किसी सरकार के सीधे अधीन नहीं होता। वक्फ बोर्ड में अभी अधिकतर सदस्य कांग्रेस की ओर से नियुक्त किए गए हैं। नियम का पालन नहीं करने पर लीगल एक्शन दैनिक भास्कर से चर्चा के दौरान डॉ. राज ने कहा, कि मस्जिद को राजनीतिक अड्डा बनाकर रखा गया है। वहां पर धर्म की बात हो, वोट किस पार्टी को देना है, इसे लेकर फतवा जारी ना हो। केंद्र की योजनाओं की अधूरी जानकारी मुस्लिम समुदाय को ना दी जाए, इसलिए यह निर्णय लिया गया है। डॉ. सलीम राज ने कहा कि शुक्रवार यानी 22 नवंबर से इसे लागू कर दिया जाएगा। जो भी मुतवल्ली (मस्जिद की संपत्ति का प्रबंध करने वाला) इस नियम का पालन नहीं करेगा, उसके खिलाफ लीगल एक्शन लिया जाएगा। वॉट्सऐप ग्रुप से होगी मॉनिटरिंग छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के सदस्यों के अनुसार तकरीर के टॉपिक की मॉनिटरिंग वॉट्सऐप ग्रुप के जरिए होगी। ग्रुप में प्रदेश भर की मस्जिदों के मुतवल्लियों (मस्जिद की संपत्ति का प्रबंध करने वाला) को जोड़ा जाएगा। जुम्मे की नमाज के बाद होने वाली तकरीर में क्या मुद्दे रहेंगे? इन मुद्दों को मुतवल्ली ग्रुप में देंगे। ग्रुप में आई जानकारी को वक्फ बोर्ड के सदस्य पढ़ेंगे और जो मुद्दे उन्हें विवादित लगेंगे, उनमें संशोधन करके दोबारा संबंधित मस्जिद के मुतवल्ली को वो भेजा जाएगा। संसोधित मुद्दों पर ही तकरीर होगी। पूर्व अध्यक्ष रिजवी ने किया विरोध छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के इस निर्णय पर बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष सलाम रिजवी ने विरोध किया है। दैनिक भास्कर से चर्चा के दौरान कहा, कि वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सलीम राज का यह निर्णय देश का पहला ऐसा निर्णय है, जिसमें इमामो को निर्देशित किया जा रहा है। बोर्ड के पास ऐसा कोई भी नियम नहीं है, जिसमें इमामों को निर्देश दिया जा सके। तकरीर में कुरान और हदीस की बातों का उल्लेख होता है। प्रदेशभर में ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसी मस्जिद से भड़काऊ तकरीर की गई हो। कुछ नेता राजनीतिक लाभ लेने के लिए ये सब कर रहे हैं। समाज के लिए अहित सोचने वाले लोगों से समाज निपटेगा। ओवेसी ने एक्स पर किया ट्वीट छत्तीसगढ़ में मुतवल्लियों को दिए गए निर्देश पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के नेता और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने ऐतराज जताया है। सोशल मीडिया एक्स पर उन्होंने लिखा कि छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार का वक़्फ़ बोर्ड चाहता है कि ‘जुम्माह का खुतबा (भाषण) देने से पहले खतीब (भाषण देने वाला) अपने खुतबे (भाषण) की जांच वक़्फ़ बोर्ड से करवाएं और बोर्ड की इजाजत के बिना खुतबा (भाषण) ना दें’। वक़्फ़ बोर्ड के पास ऐसी कोई क़ानूनी ताक़त नहीं, अगर होती भी तो भी वह संविधान के दफा 25 के ख़िलाफ़ होती। सीएम सलाहकार ने दी ओवैसी को नसीहत छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के निर्णय पर ऐतराज जताने वाले मुस्लिम नेता असदुद्दीन ओवैसी के बयान पर सीएम विष्णुदेव साय के मीडिया सलाहकार ने जवाब दिया है। पंकज कुमार झा ने ट्वीट पर रिप्लाई देते हुए कहा कि बोर्ड में अभी अधिकतर सदस्य कांग्रेस ने नियुक्त किए हैं। छत्तीसगढ़ में आग लगाने की इजाजत आपको नहीं दी जाएगी। यहां कानून-व्यवस्था हर हाल में बहाल रखी जाएगी। यहां संविधान किसी भी मजहब से ऊपर माना जाता है। आर्टिकल 25 की धमकी कहीं और उपयोग करें। तारीख गवाह है कि मस्जिद से दी गई तकरीरों के कारण कई बार फसाद हुए हैं। लोगों के घर-बार उजड़े हैं। अगर बोर्ड के अध्यक्ष जो मुस्लिम होने के कारण दीन की आपसे अधिक समझ रखते हैं, उन्हें लगा होगा ऐसे किसी बयानों पर नजर रखनी चाहिये, तो यह हमारे प्रदेश का आपसी विषय है। ये लॉ एंड ऑर्डर का मामला है। बस्तर संभाग के मुस्लिम समाज ने किया विरोध डॉ. सलीम राज का बयान सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद बस्तर संभाग के मुस्लिम समाज ने छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष को पत्र लिखकर नाराजगी जाहिर की है। बस्तर संभाग के मुस्लिम समाज के अध्यक्ष ने पत्र में लिखा है, कि तकरीर के टॉपिक को बोर्ड के पास भेजने के निर्देश का हम विरोध करते हैं। इस आदेश को अगर जारी किया गया है, तो इसे आपको तत्काल वापस लेने की मांग हम समाज के लोग करते हैं। धार्मिक मसलों पर कोई निर्देश नहीं दे सकते बोर्ड- अध्यक्ष मौदहापारा मस्जिद के मुतवल्ली इस्माइल गफूर ने दैनिक भास्कर से चर्चा के दौरान कहा, कि इमामों के धार्मिक दखल पर मदरसा बोर्ड किसी भी तरह का कोई निर्देश नहीं दे सकता है। मस्जिद का कोई भी मेंबर राजनीतिक बातों का ऐलान नहीं करता है। मस्जिद से किसी भी तरह की गलत बयानबाजी नहीं की जाती है। अगर किसी भी व्यक्ति की ओर से कोई भी मदद मांगी जाती है, तो भी मस्जिद के सदस्य ये ऐलान नहीं करते हैं। इस तरह का बयान गलत है। डॉ सलीम राज के बयान से कंफ्यूजन की स्थिति है, इस तरह के बयान देने से पहले उन्हें मुतवल्लियों (मस्जिद की संपत्ति का प्रबंध करने वाला) से चर्चा कर लेनी चाहिए। ………………… छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के पास 5 हजार करोड़ की संपत्ति: दावा- इसमें से 90% पर अवैध कब्जा; जब आवेदन दिया- आधा दुर्ग हमारा ‘विधेयक में संशोधन के नाम पर टारगेट किया जा रहा है। जब हम दूसरे समुदाय की किसी समिति में सदस्य नहीं हैं, तो वे हमारी समिति में क्यों शामिल किए जाएं? जिस तरह से वक्फ बोर्ड चल रहा है, उसी तरह से चलने देना चाहिए। बोर्ड की ताकत को बढ़ाने की जरूरत है, ताकि अपनी संपत्ति की वो रक्षा कर सके।’ यहां पढ़िए पूरी खबर…