साल में दो बार खरमास आता है। सनातन धर्म में खरमास का काफी महत्व होता है। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक, यह 30 दिनों तक चलता है और इन दिनों में शुभ कार्य वर्जित होते हैं। जैसे कि शादी, सगाई, गृहुप्रवेश समारोह या अन्य पवित्र अनुष्ठान आदि नहीं होते हैं। इस अवधि में भगवान सूर्य की पूजा करना शुभ होता है। भक्तों को सूर्य को जल चढ़ाने, वैदिक मंत्रों का जाप करने और आध्यात्मिक अभ्यास करना जरुरी होता है। आइए आपको खरमास के बारें इसकी जानकारी बताते हैं।
खरमास कब शुरू होगा?
पंचांग के अनुसार, खरमास 15 दिसंबर, रविवार को रात 10.19 बजे शुरु होगा। जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेगा। खरमास की यह अवधि मंगलवार, 14 जनवरी 2025 को समाप्त होती है। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं होता है। इसके बजाय सूर्य देव की पूजा करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सबसे बढ़िया अवधि है।
खरमास के दौरान अनुष्ठान और पूजा
सुबह की दिनचर्या
खरमास के समय भक्तों को ब्रह्म मुहूर्त के दौरान उठना चाहिए। इसके बाद स्नान करना चाहिए।
सूर्य देव को जल चढ़ाएं
स्नान के बाद ही आप उगते हुए सूर्य को जल चढ़ाएं। जल में लाल सिंदूर, चावल, गुड़ या लाल फूल जैसी सामग्री होनी चाहिए।
प्रार्थना और आरती करें
इसके बाद सूर्य देव से प्रार्थना करें और वैदिक मंत्रों का जाप करें। सूर्य चलीसा का पाठ करें। इसके साथ ही धूप, दीप और कपूर जलाएं और भगवान सूर्य की आरती करें।
प्रसाद अर्पित करें
सूर्य देव को भोग के रुप में फल और मिठाइयां जरुर अर्पित करें।
खरमास के दिन इन मंत्रों करें जाप
– ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ
– सूर्य देव का गायत्री का मंत्र- ॐ आदित्याय विद्महे दिवाकराय धीमहि तन्नः सूर्यः प्रचोदयात्।
– मनोवांछित फल प्राप्त करने के लिए इस मंत्र का जाप करें। ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांचित फलं देहि देहि स्वाहा।