अफगानिस्तान में आत्मघाती हमला, मंत्री की मौत:4 बॉडीगार्ड्स भी मारे गए; किसी ने हमले की जिम्मदारी नहीं ली, ISIS-K पर शक

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अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में बुधवार को एक आत्मघाती हमले में तालिबान के शरणार्थी मंत्री खलील रहमान हक्कानी की मौत हो गई। हमला शरणार्थी मंत्रालय में तब हुआ, जब हक्कानी प्रार्थना के लिए बाहर जा रहे थे। इसमें 4 बॉडीगार्ड्स की भी मौत हो गई। अब तक हमले के समय की जानकारी नहीं मिल पाई है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, खलील हक्कानी के भतीजे अनस हक्कानी ने अपने चाचा के मौत की पुष्टि की है। अब तक किसी भी ग्रुप ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली। हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में आतंकी ग्रुप ISIS-K पर शक जताया गया है। बता दें कि ISIS-K का पूरा नाम इस्लामिक स्टेट खुरासान है। यह सीरिया और इराक में सक्रिय आतंकी गुट ISIS की क्षेत्रीय शाखा है। ISIS-K का नाम उत्तरपूर्वी ईरान, दक्षिणी तुर्कमेनिस्तान और उत्तरी अफगानिस्तान में आने वाले क्षेत्र के नाम पर रखा गया है। कौन था खलील हक्कानी, अमेरिका ने 50 लाख डॉलर का इनाम रखा था
खलील हक्कानी को अफगानिस्तान में हक्कानी नेटवर्क का प्रमुख लीडर में से एक था। वो तालिबान के इन्टर्नल मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी का चाचा था। अमेरिका ने खलील को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया था। इस पर 50 लाख डॉलर (42 करोड़ रुपए) का इनाम भी रखा था। हक्कानी नेटवर्क और अफगान तालिबान के बीच काफी अच्छे रिश्ते हैं। 2021 में अफगानिस्तान में तख्तापलट के बाद से अफगान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क मिलकर सरकार चला रहे हैं। तालिबान सरकार के कई अहम मंत्रालय पर हक्कानी नेटवर्क के लोग काबिज हैं। हक्कानी नेटवर्क ग्रुप को जानिए?
हक्कानी नेटवर्क तालिबान का एक आतंकवादी गुट है, जिसका नेटवर्क अफगानिस्तान और पाकिस्तान में फैला हुआ है। पिछले दो दशक में हक्कानी नेटवर्क ने अफगानिस्तान में कई हमले किए। 2012 में अमेरिका ने इसे आतंकी संगठन घोषित किया। संयुक्त राष्ट्र ने भी इस संगठन पर प्रतिबंध लगा रखा है। हक्कानी नेटवर्क आतंकी हमलों में सुसाइड बॉम्बर का इस्तेमाल करने के लिए जाना जाता है। ——————————————————– यह खबर भी पढ़ें… तालिबान ने महिलाओं की नर्सिंग की पढ़ाई पर लगाई पाबंदी:शिक्षा का आखिरी रास्ता भी बंद; क्रिकेटर राशिद खान बोले- इस्लाम में महिलाओं की तालीम जरूरी तालिबान ने अफगानिस्तान में महिलाओं की नर्सिंग की ट्रेनिंग पर बैन लगा दिया है। न्यूज एजेंसी AFP के मुताबिक काबुल में स्वास्थ्य अधिकारियों की हाल ही में बैठक हुई थी जिसमें तालिबान सरकार का फैसला सुनाया गया। यहां पढ़ें पूरी खबर…

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