साउथ कोरिया में राष्ट्रपति यून सुक-सोल के खिलाफ शनिवार को महाभियोग प्रस्ताव पास हो गया है। अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक संसद में उनके खिलाफ 204 वोट पड़े जबकि उनके समर्थन में सिर्फ 85 वोट डाले गए। संसद में यून के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित होने के बाद राष्ट्रपति की शक्तियां तत्काल रूप से निलंबित हो गई हैं। अब प्रधानमंत्री हान डक-सू कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में काम करेंगे। राष्ट्रपति यून ने 3 दिसंबर की रात को देश में मार्शल लॉ लगा दिया था। हालांकि, भारी विरोध के बाद उन्होंने 6 घंटों के भीतर ही अपना फैसला वापस ले लिया था। यून के इस कदम के बाद दक्षिण कोरिया में उनका काफी विरोध हो रहा था। पिछले शनिवार को भी उन्हें हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था लेकिन ये कुछ वोटों से पारित हो पाया था। महाभियोग प्रस्ताव पास, अब क्या? महाभियोग चलाने के बाद अब प्रस्ताव को कोर्ट के समक्ष पेश किया जाएगा। अगर 9 में से 6 जज राष्ट्रपति के खिलाफ फैसला सुनाते हैं तभी आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। महाभियोग होने के 60 दिनों के भीतर चुनाव कराने होते हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री के हाथ में राष्ट्रपति की शक्तियां होती हैं। राष्ट्रपति योल को मार्शल लॉ लगाने की जरूरत क्यों पड़ी? दक्षिण कोरिया की संसद में कुल 300 सीटें हैं। इस साल की शुरुआत में हुए चुनाव में जनता ने विपक्षी पार्टी DPK को भारी जनादेश दिया था। सत्ताधारी पीपल पावर को सिर्फ 108 सीटें मिलीं, जबकि विपक्षी पार्टी DPK को 170 सीटें मिलीं। बहुमत में होने की वजह से विपक्षी DPK, राष्ट्रपति सरकार के कामकाज में ज्यादा दखल दे रही थी, और वे अपने एजेंडे के मुताबिक काम नहीं कर पा रहे थे। राष्ट्रपति योल ने 2022 में मामूली अंतर से चुनाव जीता था। इसके बाद से उनकी लोकप्रियता घटती चली गई। उनकी पत्नी के कई विवादों में फंसने की वजह से भी उनकी इमेज पर असर पड़ा। फिलहाल राष्ट्रपति की लोकप्रियता 17% के करीब है, जो कि देश के तमाम राष्ट्रपतियों में सबसे कम है। इन सबसे निपटने के लिए राष्ट्रपति ने मार्शल लॉ लगा दिया। उन्होंने DPK पर उत्तर कोरिया के साथ सहानुभूति रखने और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया। दक्षिण कोरिया में सिर्फ 6 घंटे में ही क्यों खत्म हुआ मार्शल लॉ राष्ट्रपति योल के मार्शल लॉ के ऐलान के बाद पूरा विपक्ष थोड़ी ही देर में संसद पहुंच गया। मार्शल लॉ कानून को हटाने के लिए संसद में 150 से ज्यादा सांसद होने चाहिए। जब तक सेना संसद पर कब्जे के लिए पहुंची पर्याप्त सांसद संसद पहुंच चुके थे और कार्यवाही शुरू हो गई थी। हालांकि, सेना ने कार्यवाही रोकने की कोशिश की। सांसद में वोटिंग के लिए जा रहे कई विपक्षी सांसदों को हिरासत में लिया गया। अंदर घुसने के लिए संसद की खिड़कियां तोड़नी शुरू कीं। लेकिन, जब तक जवान भीतर पहुंचते, नेशनल असेंबली के 300 में से 190 सांसदों ने राष्ट्रपति के मार्शल लॉ वाले प्रस्ताव को मतदान कर गिरा दिया। दक्षिण कोरिया के संविधान के मुताबिक अगर संसद में सांसदों का बहुमत देश में मार्शल लॉ हटाने की मांग करता है तो सरकार को इसे मानना होगा। संविधान के इसी प्रावधान का विपक्षी नेताओं को फायदा मिला और सेना को अपनी कार्यवाही रोकनी पड़ी। सेना ने तुरंत संसद को खाली कर दिया और वापस लौट गए। संसद के ऊपर हेलिकॉप्टर और सड़क पर मिलिट्री टैंक तैनात थे, उन्हें वापस जाना पड़ा।