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Friday, December 20, 2024

तबला वादक जाकिर हुसैन का आज रात होगा अंतिम संस्कार:73 साल की उम्र में सैन फ्रांसिस्को में ली थी अंतिम सांस, वहीं होंगे सुपुर्द-ए-खाक

तबला वादक और पद्म विभूषण उस्ताद जाकिर हुसैन का अंतिम संस्कार आज यानी गुरुवार को अमेरिका में किया जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक, उनको अमेरिका में सैन फ्रांसिस्को मे दफनाया जाएगा। भारतीय समयानुसार जाकिर हुसैन को आज रात 10:30 बजे सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। न्यूज एजेंसी पीटीआई ने पारिवारिक सूत्रों के हवाले से इसकी जानकारी दी है। 15 दिसंबर की रात को हुआ था निधन विश्वविख्यात तबला वादक और पद्म विभूषण उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन 15 दिसंबर यानी रविवार की रात को हो गया था। उनके निधन की खबर रविवार रात से आ रही थी, लेकिन परिवार ने इसकी पुष्टि सोमवार सुबह की थी। वे इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से जूझ रहे थे और दो हफ्ते से सैन फ्रांसिस्को के अस्पताल में भर्ती थे। उस्ताद जाकिर हुसैन को 2023 में पद्म विभूषण सम्मान मिला उस्ताद जाकिर हुसैन को 1988 में पद्मश्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। उन्हें 2009 में पहला ग्रैमी अवॉर्ड मिला था। 2024 में उन्होंने 3 अलग-अलग एल्बम के लिए 3 ग्रैमी भी जीते। 9 मार्च 1951 को मुंबई में जन्मे उस्ताद जाकिर हुसैन ने सिर्फ 11 साल की उम्र में अमेरिका में पहला कॉन्सर्ट किया था। 1973 में उन्होंने अपना पहला एल्बम ‘लिविंग इन द मटेरियल वर्ल्ड’ लॉन्च किया था। उस्ताद को 2009 में पहला ग्रैमी अवॉर्ड मिला। 2024 में उन्होंने 3 अलग-अलग ऐल्बम के लिए 3 ग्रैमी जीते। इस तरह जाकिर हुसैन ने कुल 4 ग्रैमी अवॉर्ड अपने नाम किए। उनके पिता का नाम उस्ताद अल्लारक्खा कुरैशी और मां का नाम बावी बेगम था। उस्ताद अल्लारक्खा अपने समय के बेहद प्रसिद्ध तबला वादक थे। उन्होंने ही जाकिर को संगीत की शुरुआती तालीम दी। जाकिर हुसैन की प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के माहिम स्थित सेंट माइकल स्कूल से हुई थी। उन्होंने ग्रेजुएशन मुंबई के ही सेंट जेवियर्स कॉलेज से किया था। सपाट जगह देखकर उंगलियों से धुन बजाने लगते थे जाकिर हुसैन के अंदर बचपन से ही धुन बजाने का हुनर था। वे कोई भी सपाट जगह देखकर उंगलियों से धुन बजाने लगते थे। यहां तक कि किचन में बर्तनों को भी नहीं छोड़ते थे। तवा, हांडी और थाली, जो भी मिलता, वे उस पर हाथ फेरने लगते थे। ​​​​​तबले को अपनी गोद में रखते थे जाकिर हुसैन शुरुआती दिनों में उस्ताद जाकिर हुसैन ट्रेन में यात्रा करते थे। पैसों की कमी की वजह से जनरल कोच में चढ़ जाते थे। सीट न मिलने पर फर्श पर अखबार बिछाकर सो जाते थे। तबले पर किसी का पैर न लगे, इसलिए उसे अपनी गोद में लेकर सो जाते थे। 12 साल की उम्र में 5 रुपए मिले थे जब जाकिर हुसैन 12 साल के थे, तब अपने पिता के साथ एक कॉन्सर्ट में गए थे। उस कॉन्सर्ट में पंडित रविशंकर, उस्ताद अली अकबर खान, बिस्मिल्लाह खान, पंडित शांता प्रसाद और पंडित किशन महाराज जैसे संगीत की दुनिया के दिग्गज पहुंचे थे। जाकिर हुसैन अपने पिता के साथ स्टेज पर गए। परफॉर्मेंस खत्म होने के बाद जाकिर को 5 रुपए मिले थे। एक इंटरव्यू में उन्होंने इस बात का जिक्र करते हुए कहा था- मैंने अपने जीवन में बहुत पैसे कमाए, लेकिन वे 5 रुपए सबसे कीमती थे। ओबामा ने व्हाइट हाउस में कॉन्सर्ट के लिए न्योता भेजा था अमेरिका में भी जाकिर हुसैन को बहुत सम्मान मिला। 2016 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उन्हें ऑल स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट में भाग लेने के लिए व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया था। जाकिर हुसैन पहले इंडियन म्यूजिशियन थे, जिन्हें यह इनविटेशन मिला था। शशि कपूर के साथ हॉलीवुड फिल्म में एक्टिंग की जाकिर हुसैन ने कुछ फिल्मों में एक्टिंग भी की है। उन्होंने 1983 की एक ब्रिटिश फिल्म हीट एंड डस्ट से डेब्यू किया था। इस फिल्म में शशि कपूर ने भी काम किया था। जाकिर हुसैन ने 1998 की एक फिल्म साज में भी काम किया था। इस फिल्म में हुसैन के अपोजिट शबाना आजमी थीं। जाकिर हुसैन को फिल्म मुगल-ए-आजम (1960) में सलीम के छोटे भाई का रोल भी ऑफर हुआ था, लेकिन पिता उस्ताद अल्लारक्खा ने फिल्म में काम करने से इनकार कर दिया। वे चाहते थे कि उनका बेटा संगीत पर ही ध्यान दे। राजनीतिक हस्तियों ने जाकिर हुसैन को श्रद्धांजलि दी थी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स हैंडल पर जाकिर हुसैन के निधन पर शोक जताते हुए लिखा था- महान तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन जी के निधन से बहुत दुख हुआ। उन्हें एक सच्चे प्रतिभाशाली व्यक्ति के रूप में याद किया जाएगा, जिन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया में क्रांति ला दी। उन्होंने तबले को वैश्विक मंच पर भी लाया और अपनी बेजोड़ लय से लाखों लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके परिवार, दोस्तों और वैश्विक संगीत समुदाय के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने लिखा था- आज एक लय खामोश हो गई। तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन जी के निधन से बहुत दुख हुआ। संगीत प्रतिभा से संपन्न हुसैन जी ने ऐसी बेहतरनी कृतियां गढ़ीं जो लय के पीछे छिपी भावनाओं को जगाकर भाषा और संस्कृति की सीमाओं को पार कर गईं। उनका संगीत मानवता को एक सूत्र में पिरोने वाला एक सूत्र बनकर रहेगा। गूगल पर ट्रेंड कर रहे हैं जाकिर हुसैन जाकिर हुसैन को गूगल पर काफी सर्च किया जा रहा है। वह निधन के बाद गूगल पर ट्रेंड कर रहे हैं। Source- Google Trend

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