कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी मनाई जाती है। हिंदू घर्म में इस तिथि का बेहद महत्व होता है। अक्षय नवमी के दिन भगवान विष्णुजी और आंवले के पेड़ की पूजा के लिए शुभ होता है। पंचांग के अनुसार, 10 नवंबर को अक्षय नवमी मनाई जाएगी। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करना, घर में आंवले का पौधा लगाना और आंवला को दान करने का महत्व बताया गया है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन माता लक्ष्मी- नारायण की विधिवत पूजा करने से साधक पर कृपा बनी रहती है। इस पर्व को अक्षय नवमी, धात्री नवमी और कूष्मांड नवमी के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानते हैं अक्षय नवमी की तिथि और शुभ मुहूर्त।
आंवली नवमी की तिथि
पंचांग के अनुसार, इस साल 10 नवंबर को अक्षय नवमी मनाई जाएगी। 9 नवंबर दिन शनिवार को करीब 10.46 मिनट पर कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि आरंभ होगी और अगले दिन 10 नवंबर को रात 9.02 पीएम पर समाप्त होगी। इस दिन ध्रुव योग और रवि योग का निर्माण हो रहा है। सुबह 10.59 एएम से अगले दिन 11 नवंबर को सुबह 6.33 एएम तक रवि योग का निर्माण होगा। इसके साथ ही पूरे दिन ध्रुव योग भी बनेगा। सुबह 10.59 एएम तक धनिष्ठ नक्षत्र रहेगा।
जानें पूजा-विधि
– सबसे पहले सुबह जल्दी उठें।
– स्नान के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें।
– इस दिन लक्ष्मी-नारायण और आंवले के पौधे विधिवत रुप से पूजा करें।
– अक्षय नवमी पर पूरी, सब्जी और खीर बनाएं।
– कुमकुम, चंदन, फल, फूल, धूप, दीप और नैवेद्ध को आंवले के पेड़ अर्पित करें।
– पूर्व की दिशा में मुख करके षोडशोपचार पूजा करें।
– पेड़ के तने में 8 बार कच्चा सूत या मौली लपेंटे।
– आंवले के पेड़ की घी के दीपक से आरती उतारें।
– फिर 7 बार परिक्रमाी करें।
– इस दिन व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
– पूजा- उपासना के बाद श्री विष्णु को पूरी, सब्जी और खीर का भोग लगाएं।
– इसके बाद ब्राह्मणों को पेड़ की छाया के नीचे भोजन कराएं। इसके साथ ही परिवार के साथ आंवले के पेड़ की नीचे परिवार सहित भोजन करें।