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Wednesday, February 5, 2025

Astrology Tips: हथेली में नवग्रहों की बैठक देती है ऐसा फल, जानिए क्या होगा आपके जीवन पर असर

ज्योतिष शास्त्र में कुंडली का विश्लेषण कर व्यक्ति के भविष्य का पता लगाया जाता है। कुंडली में नवग्रहों की शुभ और अशुभ स्थिति को देखकर यह जाना जा सकता है कि व्यक्ति का जीवन कैसा बीतेगा। बता दें कि ज्योतिष में सात मुख्य ग्रह और दो छाया ग्रह होते हैं। छाया ग्रह में राहु और केतु हैं। ठीक इसी तरह हाथ में सात मुख्य पर्वत होते हैं। जो सातों ग्रहों का प्रतीक माने जाते हैं।

वहीं हथेली का गड्ढा और उसके पास का क्षेत्र राहु और केतु का प्रतीक होता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि हथेली में सात मुख्य पर्वत, राहु-केतु आदि नवग्रहों की बैठक क्या फल देती है।

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हथेली के सात मुख्य पर्वत
हाथ की पहली उंगली को तर्जनी कहा जाता है और इसके नीचे के स्थान को गुरु पर्वत कहा जाता है। इसी वजह से तर्जनी को जुपिटर फिंगर भी कहते हैं। बृहस्पति की शुभ और बलवान बनाने के लिए तर्जनी उंगली में सोनी की अंगूठी में पुखराज धारण करने की सलाह दी जाती है।
वहीं हाथ की दूसरी उंगली को मध्यमा कहा जाता है। ज्योतिष व हस्तरेखा में इस उंगली को शनि की उंगली कहा जाता है। इस उंगली के नीचे वाला भाग शनि पर्वत कहलाता है।
हाथ की तीसरी उंगली यानी की जो अनामिका उंगली होती है, उसको सूर्य की उंगली कहा जाता है। वहीं इस उंगली के नीचे वाले पर्वत को सूर्य पर्वत कहा जाता है।
हाथ की चौथी उंगली, जिसे कनिष्ठा उंगली कहा जाता है, वह बुध की उंगली होती है। वहीं कनिष्ठिका उंगली के नीचे वाले क्षेत्र को बुध पर्वत कहा जाता है।
बता दें कि अंगूठे के तीसरे पोर और जीवन रेखा के भीतर वाले उभरे स्थान को शुक्र पर्वत का स्थान माना जाता है।
मणिबन्ध रेखाओं के ऊपर और जीवन रेखा के उस पार यानी की शुक्र पर्वत के सामने वाले क्षेत्र को चंद्र पर्वत कहा जाता है।
इसके साथ ही शुक्र और गुरु पर्वत के बीच के क्षेत्र को मंगल पर्वत कहा जाता है।
वहीं बुध और चंद्र पर्वत के बीच वाले क्षेत्र को केतु पर्वत कहा जाता है।
ज्योतिष में केतु का दूसरा सिर राहु है। इसलिए केतु पर्वत के सामने वाले क्षेत्र को यानी की जिसे हथेली का गड्ढा बोलते हैं। उसको राहु पर्वत कहा जाता है। बता दें कि यह शनि और सूर्य पर्वत के नीचे होता है।

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