हिंदू धर्म में भाई दूज का पर्व बेहद खास माना जाता है। हर साल कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यह पर्व मनाया जाता है। आमतौर पर यह त्योहार दीपावली के दो दिन बाद और गोवर्धन पूजा के एक दिन बाद होता है। भाई दूज का पर्व भाई-बहन के बीच के प्यार और पवित्र बंधन का प्रतीक होता है।
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस शुभ दिन पर बहनें अपने भाइयों को तिलक कर उनके लिए स्वादिष्ट भोजन बनाती हैं और भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं। साथ ही भाई अपनी बहनों की हमेशा रक्षा करने का अमिट वादा करते हैं। भाई दूज को भात्र द्वितीया, भाई द्वितीया, भाऊ बीज और भातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको भाई दूज के पर्व से जुड़ी कुछ प्रमुख बातों के बारे में बताने जा रहे हैं।
भाई दूज पर इन चीजों से करें भाई को तिलक
भाई दूज के मौके पर भाई को केसर, हल्दी, चंदन और कुमकुम आदि चीजों से तिलक करना बेहद उत्तम माना जाता है। इनमें से किसी भी चीज से बहनें अपने भाई को तिलक कर सकती हैं। इसका अपना-अपना महत्व होता है। धार्मिक मान्यता है कि इन चीजों से तिलक करने से भाई को सफलता, सुरक्षा, समृद्धि और अच्छा स्वास्थ्य मिलता है। वहीं तिलक करने के दौरान कुछ बातों का खास ख्याल रखना चाहिए, तभी भाई को किया गया तिलक पूर्ण होता है।
इन बातों का रखें ध्यान
भाई दूज के शुभ मौके पर भाई के माथे पर तिलक करने के दौरान भाई का मुख उत्तर या उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए। वहीं बहन का मुख पूर्व या फिर उत्तर-पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
भाई को तिलक करते समय उसे लकड़ी की चौकी पर बिठाएं। भाई को कुर्सी या फिर खड़े होकर तिलक नहीं करना चाहिए।
भाई को टीका करने के बाद उसके कलाई पर मौली धागा बांधकर आरती जरूर करें।
भाई दूज के शुभ मुहूर्त पर ही तिलक की रस्म को पूरा करना चाहिए।
भाई को तिलक करने से पहले ही उनसे बहनों को उपहार नहीं लेना चाहिए।
भाई दूज के दिन बहन और भाई को सात्विक भोजन ही करना चाहिए।
इस शुभ दिन पर भाई-बहन को आपस में लड़ाई-झगड़ा नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह दिन बहुत ज्यादा शुभ माना जाता है।