कार्तिक मास की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहते हैं। एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु निद्रा योग से उठते हैं जिसके बाद से शुभ कार्य होने लगते हैं। देवउठनी एकादशी से शादियां शुरु हो जाती है। इसे देवुत्थान एकादशी और प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। ज्योतिष के मुताबिक, 12 नवंबर को सर्वार्थ सिद्धि योग में देवउठनी एकादशी मनाई जाएगी। इस दिन शादी-विवाह, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश समेत सभी मांगलिक कार्यक्रमों की शुरुआत होती है। आइए जानते हैं देवउठनी एकादशी के दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं?
देवउठनी एकादशी के दिन क्या न करें?
– इस दिन रात को सोना वर्जित होता है। देवउठनी एकादशी के रात को भगवान विष्णु की प्रतिमा और तस्वीर के सामने बैठकर भजन-कीर्तन और जागरण करने से विष्णु जी की असीम कृपा बनी रहती है।
– इस दिन भूलकर भी पान नहीं खाना चाहिए। माना जाता है कि पान खाने से मन में रजोगुण की उत्पत्ति होने लगती है। इस साधक को सात्विक आचार-विचार रखना चाहिए और विष्णुजी की साधना करना चाहिए।
– एकादशी के दिन किसी की निंदा करने से बचें। दूसरे की बुराई न करें। ऐसा करने से जीवन में नकारात्मकता बढ़ने लगती है।
– एकादशी के दिन गुस्सा होने से बचना चाहिए। इससे मानसिक तनाव बढ़ता है। श्राद्धा के साथ विष्णुजी की आराधना की। किसी से कोई गलती हो जाए तो उसे माफ कर दें।
– इस दिन तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
– देवउठनी एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही एकादशी के दिन तुलसी का पत्ता भी नहीं तोड़ना चाहिए। एक दिन पहले ही तुलसी के पत्ते तोड़ लें।
देवउठनी एकादशी के दिन क्या करें?
– इस दिन भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और तुलसी के पौधे की पूजा करनी चाहिए।
– देवउठनी एकादशी के दिन गरीबों और जरुरतमंदों को अपने क्षमता के अनुसार अन्न, धन और गर्म वस्त्रों का दान करना जरुरी है।
– इस दिन पूजा के दौरान भगवान विष्णु को भोगल लगाने के समय तुलसी दल जरुर चढ़ाएं। मान्यता है कि तुलसी के पत्ते के बिना विष्णुजी भोग स्वीकार नहीं करते हैं।