Holika Dahan 2025: होलिका दहन के दिन अग्नि की उल्टी परिक्रमा क्यों लगाई जाती है? जानिए इसके पीछे की वजह

0
20
होली का त्योहार मस्ती और खुशियों से भरा होता है। सनातन धर्म में होलिका दहन का पर्व अच्छाई और खुशहाली का त्योहार है। होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। होली के त्योहार से हमे हमेशा यही सीख मिलती हैं हमेशा सत्य की जीत होती है। होलिका दहन के लिए लकड़ी और उपलो के ढेर जलाते हैं। भगवान से प्रार्थना करते हैं कि हमारे जीवन से सभी बुराईयां और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाए। हम सभी जानते हैं कि होलिका दहन की अग्नि की परिक्रमा जरुर लगाते हैं। हालांकि, कुछ लोग नहीं जानते होंगे कि होलिका अग्नि की उल्टी परिक्रमा लगाने का महत्व क्या है। तो चलिए बिना देर किए आपको इस लेख में बताते हैं क्यों लगाई जाती है होलिका की अग्नि की उल्टी परिक्रमा।
होलिका अग्नि की उल्टी परिक्रमा कितनी बार लगानी चाहिए?
छोटी होली के दिन होलिका अग्नि की परिक्रमा विधिवत रुप से 11 या 21 बार परिक्रमा लगाएं और इसके बाद होलिका अग्नि की परिक्मा 3 बार उल्टी लगानी चाहिए। जब उल्टी परिक्रमा हो जाए इसके बाद अपने मुंह पर उल्टा हाथ रखकर ऊंची आवाज में चिल्लाएं। इसके साथ ही आप गुड़ और आटे से बिच्छु बनाकर होलिका दहन में डालें और होलिका मंत्र जरुर पढ़ें। ऐसा करने से व्यक्ति को अग्नि के भय से सुरक्षा मिलती है और व्यक्ति के जीवन में कोई भी समस्या नहीं आती है। इसके अलावा, होलिका की राख को अपने माथे पर लगाने से शुभ फलों की प्राप्ति होती हैं।
होलिका दहन के दौरान पढ़ें ये अग्नि मंत्र
इन मंत्रों के जाप करने से घर में सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। इसके साथ ही व्यक्ति की सभी मनोकामना पूर्ण होती है। 
– ऊं होलिकायै नम:
– ऊं प्रह्लादाय नम:
– ऊं नृसिंहाय नम:
– अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः। अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम्।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here