27.3 C
Bhilai
Monday, December 23, 2024

Kartik Maas 2024: 18 अक्टूबर से 15 नवंबर तक चलेगा कार्तिक मास, दीपदान से मिलता है कभी न खत्म होने वाला पुण्य

कार्तिक मास 18 अक्टूबर से 15 नवंबर तक रहेगा। पुराणों में इस महीने को बहुत खास बताया गया है। हिन्दी पंचांग का आठवां महीना कार्तिक तीज-त्योहार के लिहाज से बहुत खास है। इस महीने में धन तेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज, छठ पूजा, देवउठनी एकादशी जैसे बड़े तीज-त्योहार रहते हैं। ये माह 15 नवंबर तक रहेगा। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर – जोधपुर  के निदेशक ज्योतिषाचार्य ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि कार्तिक मास में गणेश जी, विष्णु-लक्ष्मी, धनवंतरि, गोवर्धन पर्वत, छठ माता, सूर्य देव के साथ ही कार्तिकेय स्वामी की भी पूजा जरूर करनी चाहिए। कार्तिक मास सेहत के लिए बहुत ही खास माना गया है। इस महीने में शरद ऋतु शुरू होती है। दो बदलते मौसम के बीच का समय होने से इन दिनों सेहत संबंधी परेशानी भी होने लगती है। इसलिए कार्तिक मास में पूरा डेली रूटीन बदलने की बात ग्रंथों में कही गई है। इनमें खाने-पीने और सोने से जुड़े जरूरी नियम कहे गए है। जिनको अपनाने से सेहत अच्छी रहती है और उम्र भी बढ़ती है। मास में रोज सुबह जल्दी उठना चाहिए। इन दिनों में नदी स्नान की परंपरा है। काफी लोग नदी में दीपदान भी करते हैं। कार्तिक महीने का नाम कार्तिकेय स्वामी के नाम पर पड़ा है। इसके बारे में भगवान नारायण ने ब्रह्मा को, ब्रह्मा ने नारद जी को और उन्होंने महाराज पृथु को कार्तिक मास के बारे में बताया है। इस पवित्र महीने में 7 नियम प्रधान माने गए हैं, जिन्हें करने से शुभ फल मिलते हैं और हर मनोकामना पूरी हो सकती है।
दीपदान से कभी न खत्म होने वाला पुण्य
ज्योतिषाचार्य ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि कार्तिक मास में सबसे खास काम दीपदान करना होता है। इस महीने में मंदिर, तुलसी, आंवले का पेड़, नदी, पोखर, कुए, बावड़ी और तालाब के किनारे दीपदान किया जाता है। इससे कभी न खत्म होने वाला पुण्य मिलता है।

इसे भी पढ़ें: Neelkanth Temple: हरिद्वार के पास यहां पर भगवान शिव ने कंठ में धारण किया था विष, जानिए इस जगह के बारे में सब कुछ

खान-पान दें ध्यान
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि अभी ठंड शुरू हो जाएगी। इन दिनों में खान-पान में ऐसी चीजें शामिल करें, जो शरीर को ठंड से लड़ने की ताकत देती है। गर्म केसर वाला दूध पीएं। मौसमी फल खाएं। साथ ही, इस महीने में पहनावे पर ध्यान देना चाहिए। ऐसे कपड़े पहनें, जिनसे शरीर पर बाहरी ठंड का जरूरत से अधिक असर न हो, वर्ना सर्दी-जुकाम जैसी मौसमी बीमारी हो सकती है। पुराणों में ये भी जिक्र है कि कार्तिक मास में जमीन पर सोना चाहिए। ऐसा करने से आलस्य और शारीरिक परेशानियां दूर होती हैं। साथ ही इन दिनों में फलियां और दालें नहीं खानी चाहिए। तेल मालिश भी नहीं करना चाहिए। इन सब बातों का ध्यान रखने से सेहत अच्छी रहती है और उम्र बढ़ती है। कार्तिक महीने में भगवान विष्णु और सूर्य की पूजा करने से बीमारियां दूर रहती हैं। उम्र भी बढ़ती है। इस पवित्र महीने में सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ या पवित्र नदियों के पानी में नहाना चाहिए। ऐसा न कर पाएं तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहाने से तीर्थ स्नान का पुण्य मिल जाता है। इस तरह नहाने से बीमारियां तो दूर होती हैं, जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप भी खत्म हो जाते हैं।
प्रकट हुए थे औषधियों के देवता
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि अश्विन महीने की पूर्णिमा यानी शरद पूर्णिमा पर देवताओं के वैद्य अश्विनी कुमारों और अमृत देने वाले चंद्रमा की पूजा होती है। ताकि कार्तिक महीने में सेहत संबंधी परेशानी न हो। इसके 12 दिन बाद औषधियों के जनक यानी धन्वंतरि की पूजा का दिन होता है। धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि अमृत का कलश और औषधियां लेकर प्रकट हुए थे। इनकी पूजा से आरोग्य और लंबी उम्र मिलती है।
संयम से बढ़ती है इच्छा शक्ति
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि कार्तिक मास के दौरान कम बोलना चाहिए। मन पर संयम रखें। किसी की बुराई न करें और विवादों से भी बचें। इन दिनों में ब्रह्मचर्य के नियम मानने चाहिए। ऐसा करने से इच्छा शक्ति मजबूत होती है और अंदरूनी ताकत बढ़ती है। कार्तिक महीने में सूर्योदय से पहले उठकर खाली पेट पानी के साथ तुलसी के कुछ पत्ते निगल लिए जाएं तो पूरे साल बीमारियों से बच सकते हैं। इन दिनों पित्त बहुत बढ़ता है। इसलिए कार्तिक महीने के दौरान बैंगन, मठ्ठा, करेला, फलियां और दालें नहीं खानी चाहिए। इनके अलावा जमीकंद यानी मूली, गाजर, गराडू, शकरकंद और अन्य तरह के कंद मूल खाना सेहत के लिए अच्छा रहता है।
नदी स्नान करने की है परंपरा
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि कार्तिक महीने में पवित्र नदियों में स्नान और दीप दान करने की परंपरा है। इसकी शुरुआत शरद पूर्णिमा से होती है। इसी वजह से कार्तिक माह में देशभर की सभी पवित्र नदियों में स्नान के लिए काफी लोग पहुंचते हैं। स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें। स्नान घाट पर ही जरूरतमंद लोगों को दान-पुण्य करें। 
जप और ध्यान के लिए कार्तिक मास
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि रोज सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं। घर के मंदिर में इष्टदेव के मंत्रों का जप करें। जप करते हुए ध्यान करें। जिन लोगों का मन अशांत रहता है, उन लोगों को कार्तिक मास में जप और ध्यान जरूर करना चाहिए। ये समय जप और ध्यान के लिए वरदान की तरह है। इन दिनों में मौसम ऐसा रहता है, जिससे मन जल्दी एकाग्र हो जाता है और जप-ध्यान करने से अशांति दूर हो जाती है। ध्यान करने के लिए किसी शांत और पवित्र स्थान का चयन करना चाहिए। इस माह में किया गया पूजा-पाठ साधक को पापों से मुक्ति प्रदान करता है। कार्तिक महीने में किसी पवित्र नदी में ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करना शुभफलदायक होता है। यह स्नान अविवाहित या विवाहित महिलाएं समान रूप से कर सकती हैं। अगर आप पवित्र नदी तक जाने में असमर्थ हैं, तो घर पर स्नान के जल में गंगा जल मिलाकर भी स्नान किया जा सकता है। कार्तिक मास में भगवान विष्णु के शालग्राम रूप की पूजा करने से महापुण्य मिलता है। इस महीने में तुलसी और आंवले के पेड़ की पूजा भी करने की परंपरा है। ऐसा करने से सुख-समृद्धि और आरोग्य मिलता है।
जरूर करें दान-पुण्य
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस महीने से शीत ऋतु शुरू हो रही है। ऐसे में जरूरतमंद लोगों को कंबल और ऊनी वस्त्रों का दान जरूर करें। कार्तिक मास में जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज, कपड़े, ऊनी कपड़े का दान करें। किसी गौशाला में गायों की देखभाल करें। गायों के लिए धन का दान करें। इस महीने तुलसी, अन्न, गाय और आंवले का पौधा दान करने का विशेष महत्व होता है। जो देवालय में, नदी के किनारे, सड़क पर या जहां सोते हैं वहां पर दीपदान करता है उसे सर्वतोमुखी लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। यानी हर तरफ से लक्ष्मी की कृपा मिलती है। जो मंदिर में दीप जलाता है उसे विष्णु लोक में जगह मिलती है। जो दुर्गम जगह दीप दान करता है वह कभी नरक में नहीं जाता, ऐसी मान्यता है। इस महीने में केले के फल का तथा कंबल का दान अत्यंत श्रेष्ठ है। सुबह जल्दी भगवान विष्णु की पूजा और रात्रि में आकाश दीप का दान करना चाहिए।
कार्तिक मास में हुआ था तारकासुर वध
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस महीने में शिव पुत्र कार्तिकेय ने दैत्य तारकासुर का वध किया था। कथा के अनुसार तारकासुर, वज्रांग दैत्य का पुत्र और असुरों का राजा था। देवताओं को जीतने के लिए उसने शिवजी की तपस्या की। उसने असुरों पर आधिपत्य और खुद के शिवपुत्र के अलावा अन्य किसी से न मारे जा सकने का महादेव का वरदान मांगा था। देवताओं ने ब्रह्मा जी को बताया कि तारकासुर का अंत शिव पुत्र से ही होगा। देवताओं ने शिव-पार्वती का विवाह करवाया और उनसे कार्तिकेय (स्कंद) की उत्पत्ति हुई। स्कंद को देवताओं ने अपना सेनापति बनाया और लड़ाई में तारकासुर मारा हुआ। स्कंद पुराण के अनुसार शिव पुत्र कार्तिकेय का पालन कृतिकाओं ने किया इसलिए उनका कार्तिकेय नाम पड़ गया।
कार्तिक माह के प्रमुख व्रत-त्योहार
 
20 अक्टूबर 2024- करवा चौथ
28 अक्टूबर 2024- रमा एकादशी
29 अक्टूबर 2024- धनतेरस और प्रदोष व्रत
31 अक्टूबर 2024- नरक चतुर्दशी
01 नवंबर 2024- कार्तिक अमावस्या, लक्ष्मी पूजा और दीवाली
02 नवंबर 2024- गोवर्धन पूजा
03 नवंबर 2024- भैया दूज
07 नवंबर 2024- छठ पूजा
12 नवंबर 2024- देवउत्थान एकादशी
13 नवंबर 2024- तुलसी विवाह
14 नवंबर 2024- वैकुंठ चतुर्दशी और विश्वेश्वर व्रत
15 नवंबर 2024- देव दीपावली और कार्तिक पूर्णिमा
– डा. अनीष व्यास
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles