30.1 C
Bhilai
Tuesday, October 8, 2024

Mahalaya 2024 । बंगाल में की जाती है देवी दुर्गा की विशेष पूजा, जानें इसका धार्मिक महत्व

देवी दुर्गा के आगमन का समय आ गया है, इसमें बस अब कुछ दिन बचे हैं। बंगाल में देवी दुर्गा के आगमन की तैयारियां भी पूरी हो चुकी हैं। बस अब उनके स्वागत करने का सबको इंतजार है। महालया अमावस्या के शुभ दिन देवी पक्ष शुरू होगा, जिसके अगले दिन देवी दुर्गा का आगमन होगा। महालया का हिन्दू पंचांग में विशेष महत्व है। महालया शब्द संस्कृत के शब्दों – ‘महा’ और ‘आलय’ से मिलकर बना है, जिसका अर्थ ‘महान निवास’ या ‘देवी का घर’ है।
मान्यता है कि महालया के दिन देवी दुर्गा अपने भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए पृथ्वी पर आती हैं। नौ दिन पृथ्वी पर रुककर देवी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं और फिर वापस स्वर्गलोक चली जाती हैं। बता दें, इस साल महालया अमावस्या 2 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
महालया अमावस्या कब है?
हिन्दू पंचांग के अनुसार, महालया अमावस्या नवरात्र की शुरुआत और पितृपक्ष के अंत का प्रतीक मानी जाती है। पितृ पक्ष 17 सितंबर को शुरू हुआ और 2 अक्टूबर को समाप्त हो रहा है। आश्विन माह की अमावस्या तिथि 01 अक्टूबर, 2024 को रात्रि 09 बजकर 38 मिनट पर आरंभ होगी। वहीं इस तिथि का अंत 2 अक्टूबर को रात्रि 12 बजकर 19 मिनट पर होगा। ऐसे में सूर्य उदय तिथि के अनुसार महालया अमावस्या 02 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
 

इसे भी पढ़ें: Mahalaya Amavasya 2024: किस दिन है महालया अमावस्या? जानें इसका महत्व और पितरों की श्राद्ध पूजा विधि

महालया और दुर्गा पूजा 2024 कैलेंडर
महालया – बुधवार, 2 अक्टूबर
महा पंचमी – सोमवार, 7 अक्टूबर
महा षष्ठी – मंगलवार, 8 अक्टूबर
महा सप्तमी – बुधवार, 9 अक्टूबर
महा अष्टमी – गुरुवार, 10 अक्टूबर
महानवमी – शुक्रवार, 11 अक्टूबर
विजयादशमी/दशहरा – शनिवार, 12 अक्टूबर
क्या है महालया का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व?
हिंदू महाकाव्य मार्कंडेय पुराण में ‘देवी महात्म्य’ (देवी की महिमा) की कथा का जिक्र है। इसमें देवी दुर्गा द्वारा राक्षस राजा महिषासुर का वध करने की कहानी बताई गयी है।
पौराणिक कथा के अनुसार, महिषासुर ने भगवान ब्रह्मा से अजेय वरदान प्राप्त किया था। इसके बाद वह अपने रास्ते में आने वाली हर चीज को नष्ट कर रहा था, जिससे भयंकर तबाही मच गयी थी। महिषासुर को हराने में जब सभी देवता विफल हो गए थे, तब उन्होंने अपनी शक्तियों को एक कर देवी दुर्गा की रचना की। देवी दुर्गा को भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान शिव सहित सभी देवताओं के हथियारों का आशीर्वाद प्राप्त था। देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच भीषण लड़ाई हुई, जो करीब नौ दिनों तक चली। 10वें दिन देवी दुर्गा ने राक्षस का वध कर दिया।
 

इसे भी पढ़ें: Pitru Paksha 2024: श्राद्ध करने से उतरता है पूर्वजों का ऋण, इन बातों का रखें ध्यान

महालया पर मिलती है सुरक्षा और समृद्धि
महालया अमावस्या के दिन पितृपक्ष का अंत हो जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग अपने पूर्वजों की पुण्यतिथि पर श्राद्ध नहीं करते हैं, वह महालया अमावस्या पर ऐसा कर सकते हैं। ऐसा करने से उन्हें अपने पूर्वजों का आशीर्वाद तो मिलता ही है साथ ही सुरक्षा और समृद्धि भी मिलती है।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles