इसरो के चीफ रह चुके डॉ. के राधाकृष्णन की अगुवाई वाली एक कमेटी ने NEET की परीक्षा करवाने में कुछ बड़े बदलावों की सिफारिश की है। शिक्षा मंत्रालय को भेजी अपनी रिपोर्ट में राधाकृष्णन कमेटी ने कई चरणों में परीक्षा करवाने, ऑनलाइन एग्जाम और हाइब्रिड मॉडल अपनाने जैसे कई बड़े बदलावों की सिफारिश की है। पेपर लीक की गड़बड़ियों के चलते बनी थी कमेटी इस साल NEET और UGC NET जैसे एग्जाम में कथित पेपर लीक जैसी गड़बड़ी की शिकायतें आईं। NEET पेपर लीक का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के बाद शिक्षा मंत्रालय ने 22 जून 2024 को के राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली एक एक्सपर्ट कमेटी के गठन की घोषणा की थी। इस कमेटी में राधाकृष्णन के अलावा 6 सदस्य और थे। कमेटी को NTA द्वारा कराए जाने वाले एग्जाम में जरूरी सुधार बताने थे और साथ ही NTA के कामकाज की समीक्षा करके शिक्षा मंत्रालय को एक अपनी सिफारिशों की एक रिपोर्ट सौंपनी थी। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, अब कमेटी ने शिक्षा मंत्रालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कई बदलावों की सिफारिश की है। कमेटी ने NEET के अलावा केंद्र सरकार की संस्था NTA द्वारा कराए जाने वाले दूसरे एग्जाम के लिए भी कई सुझाव दिए हैं। इनमें से कुछ सुझाव अलग-अलग एग्जाम के लिए हैं, वहीं कुछ सुझाव NTA के एग्जाम करवाने के ओवरआल मकैनिज्म को लेकर भी हैं। इन बदलावों के पीछे कमेटी ने कुछ तर्क दिए हैं- 1. परीक्षाओं पर सरकारी नियंत्रण ज्यादा होना चाहिए: कमेटी ने एग्जाम करवाने की पूरी प्रक्रिया में सरकारी नियंत्रण बढ़ाने की वकालत की है। इसमें कहा गया है कि प्राइवेट सर्विस प्रोवाइडर से एग्जाम कंडक्ट करवाने से जुड़े काम करवाने के बजाय NTA को अपने खुद के एग्जाम सेंटर्स बढ़ाने चाहिए। इसके लिए NTA में परमानेंट कर्मचारियों की संख्या बढ़ानी होगी क्योंकि अभी तक NTA में कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर बहुत कमर्चारी हैं। NTA, सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में एग्जाम कंडक्ट करवाती है। जब NEET जैसे किसी बड़े एग्जाम के लिए सेंटर्स की तादाद कम पड़ती है तो एग्जाम AICTE की मान्यता वाले संस्थानों और कॉलेजों में सेंटर बनाती है। इसके बाद जरूरत पड़ने पर एग्जाम कंडक्ट करवाने में NTA की मदद करने वाली एजेंसियां प्राइवेट कॉलेजों में भी सेंटर बनाती हैं। अब कमेटी ने इन प्राइवेट सेंटर्स का इस्तेमाल न करने की सलाह दी है। 2. हाइब्रिड मॉडल पर एग्जाम से एग्जाम फूलप्रूफ होगा: कमेटी ने कहा है कि जहां तक संभव हो सके, एग्जाम ऑनलाइन करवाने चाहिए। अगर ऑनलाइन एग्जाम करवाना संभव नहीं है तो हाइब्रिड मोड में एग्जाम करवाए जाएं। इसमें एग्जाम का क्वेश्चन पेपर डिजिटल तरीके से सेंटर तक भेजा जाए, जबकि कैंडिडेट ऑफलाइन तरीके से OMR शीट भरें। इसके पीछे तर्क यह है कि इससे क्वेश्चन पेपर ज्यादा हाथों से नहीं गुजरेगा। यह तर्क इसलिए भी सही है कि कथित तौर पर जब NEET-UG का पेपर इसी तरह लीक हुआ। पेपर झारखंड के हजारीबाग में एक एग्जाम सेंटर से लेकर इसे सॉल्वरों तक पहुंचा दिया गया। कमेटी का कहना है कि ऑनलाइन तरीके से पेपर, एग्जाम शुरू होने से पर्याप्त समय पहले सेंटर्स तक पहुंच जाएगा। इसके अलावा ऑफलाइन पेपर को छपाई, फिर बैंक के स्ट्रांग रूम और फिर एग्जाम सेंटर में कड़ी सुरक्षा में रखना होता है, ऑनलाइन पेपर से ये समस्याएं खत्म हो जाएंगी। 3. CUET में ज्यादा सब्जेक्ट की जरूरत नहीं: कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट यानी CUET के एग्जाम को लेकर कमेटी ने सब्जेक्ट्स कम करने की सलाह दी है। फिलहाल इसमें 50 सब्जेस्ट्स की चॉइस रहती है, जिनमें से 6 सब्जेक्ट्स चुनने होते हैं। कमेटी का कहना है कि CUET में मेरिट लिस्ट के लिए जनरल एप्टीट्यूड और विषय की कुछ जानकारी का आंकलन करना चाहिए। कई सब्जेक्ट्स होने के चलते क्वेश्चन पेपर के कई सेट बनते हैं। ज्यादा लोग शामिल होते हैं। परीक्षा की गोपनीयता बनाए रखने के लिए इन चीजों को जितना हो सके, कम करना चाहिए। 4. कैंडिडेट्स ज्यादा, 2 सेशन में हो NEET : कमेटी ने यह भी कहा है कि NEET-UG का एग्जाम कई स्टेज में होना चाहिए। JEE में जिस तरह मेन्स और एडवांस्ड दो एग्जाम होते हैं, उसी तरह NEET का एग्जाम भी दो स्टेज में होना चाहिए, क्योंकि NEET का एग्जाम देने वाले कैंडिडेट्स की संख्या बहुत ज्यादा होती है। इस साल NEET-UG के लिए 20 लाख से ज्यादा कैंडिडेट्स ने रजिस्ट्रेशन करवाया है। एजुकेशन से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए… दो सेशन में होगा JEE मेन्स 2025: 22 से 31 जनवरी तक होगा सेशन 1 एग्जाम; एक्सपर्ट की सलाह- दोनों सेशन में बैठना बेहतर नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने 28 अक्टूबर को JEE मेन्स 2025 की तारीखें घोषित कर दी हैं। इस साल भी JEE मेन्स एग्जाम दो चरणों में होगा। पहले फेज का एग्जाम 22 से 31 जनवरी 2025 तक और दूसरे फेज का एग्जाम अप्रैल 2025 में होगा। पूरी खबर पढ़िए…