पितृपक्ष शुरु हो चुके हैं। इस दौरान महालक्ष्मी के व्रत रखें जाते हैं। यह व्रत 16 दिन तक चलता है। अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी से शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन व्रत रखा जाता है। आपको बता दें कि, पितृपक्ष की अष्टमी यानी इस दिन जितिया व्रत रखते हैं, इस दिन व्रत का समापन होता है। इस साल 25 सिंतबर अष्टमी की तिथि को विशेष पूजा अर्चना के साथ व्रत का समापन होगा।
महालक्ष्मी की पूजा कैसे करें
पहले दिन आप महालक्ष्मी की प्रतिमा खरीद कर घर ले जाएं। उस प्रतिमा की 16 दिनों तक कमल के फूल से पूजा होती है। माना जाता है कि इस दौरान मां लक्ष्मी की पूजा से घर में सुख, शांति, आरोग्य, ऐश्वर्य और लक्ष्मी निवास करते हैं। इसके बाद आप लाल कपड़ा चौकी पर बिछाकर उस पर चंदन से अष्टदल बनाया जाता है और फिर चवाल को कलश पर रखें। इसके बाद महा लक्ष्मी की मूर्ति रखी जाती है। आप साथ ही में हाथी की मूर्ति भी रखी जाती है। आपको बता दें, मां लक्ष्मी की पूजा ऐसी प्रतिमा की करें, जिसमें वो गुलाबी कमल पर बैठी हों, मूर्ति खड़ी न हों। इसके साथ ही उनके हाथों से धन का बरसात हो रही हो और दूसरे हाथ से आशीर्वाद दिया जा रहा हों।
मिठाई से लगाएं भोग
इस दिन आप मां लक्ष्मी को पंचमेवे और सफेद मिठाई का भोग लगाना चाहिए। महालक्ष्मी को सुहाग का सामन और साड़ी अर्पित करनी चाहिए। इसके साथ ही मां को गुलाब का फूल अधिक प्रिय है। इसलिए मां लक्ष्मी की पूजा में इत्र और गुलाब और कमल जरुर अर्पित करना चाहिए।