हिंदू धर्म में शनिवार का दिन भगवान शनिदेव को समर्पित होता है। शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है। शनिवार को शनिदेव की पूजा-अर्चना की जाती है। इससे व्यक्ति के जीवन की परेशानियों का अंत हो जाता है। बता दें कि शनिवार का व्रत रखने से जातक को शनिदेव की कृपा मिलती है। वहीं शनिदेव की पूजा करने से व्यक्ति को सभी क्षेत्रों में विजय मिलती है। शनिदेव की पूजा करने से व्यक्ति कम समय में धनवान बन जाते हैं। आर्थिक तंगी से भी निजात पाने के लिए शनिदेव की पूजा-अर्चना की सलाह दी जाती है।
Shani Dev: भगवान भोलेनाथ ने शनिदेव को दिया था न्याय करने का वरदान, ऐसे बने ग्रहों में सर्वश्रेष्ठ
ऐसे में अगर आप भी शनिदेव की कृपा और आशीर्वाद के भागी बनना चाहते हैं, तो पूरी भक्तिभाव से उनकी पूजा-अर्चना करनी चाहिए। इससे न्याय के देवता शनिदेव की कृपा आप पर जरूर बरसेगी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शनिदेव न्याय के देवता कैसे बनें और उनको मोक्ष प्रदाता क्यों कहा जाता है।
जानिए कैसे मिला वरदान
बता दें कि देवी छाया के लिए सूर्य देव की कुंठित भावना थी। इसी वजह से सूर्य देव के साथ शनिदेव का कटु संबंध था। सूर्य देव का अपनी मां छाया के प्रति रुष्ट व्यवहार देखकर शनि अपने पिता सूर्य देव से अप्रसन्न रहते थे। धार्मिक शास्त्रों में बताया गया है कि देवी छाया महादेव की भक्त थीं और वह भोलेनाथ की कठिन भक्ति करती थीं। ऐसे में वह भक्ति में इतनी लीन हो जाती थीं कि उनको अपनी भी सुध नहीं रहती थी।
जब शनिदेव अपनी मां के गर्भ में थे, तो भी वह महादेव की कठिन भक्ति किया करती थीं। जिसका प्रभाव शनिदेव पर पड़ा और वह श्याम रूप में जन्में। शनिदेव का श्याम रूप देखकर सूर्यदेव ने अपनी पत्नी छाया पर आरोप लगाते हुए कहा कि शनिदेव उनके पुत्र नहीं हैं। वहीं सूर्य देव अपनी पत्नी देवी छाया से नाराज रहने लगे। अपनी मां के प्रति पिता का यह व्यवहार देखकर शनिदेव भगवान सूर्य नारायण से कुंठित रहने लगे थे। वहीं आत्मा के कारक सूर्य को शनि देव अपना शत्रु मानते थे।
इसी वजह से शनिदेव ने नवग्रहों में सबसे उच्च स्थान प्राप्त करने का प्रण लिया और वह अपनी मां छाया के सच्चे भक्त बनें। शनिदेव को भक्ति अपनी मां छाया से विरासत में मिली थी। ग्रहों में सर्वश्रेष्ठ स्थान पाने के लिए शनिदेव ने भोलेनाथ की कठिन तपस्या की। इस तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान भोलेनाथ ने उनको न्याय करने का वरदान दिया और साथ में मोक्ष प्रदान करने का भी आशीर्वाद दिया। भगवान शिव के दिए इस वरदान से वह ग्रहों में श्रेष्ठ बनें और उन्हें न्याय करने का अधिकार प्राप्त हुआ।