अक्सर देखा जाता है कि बच्चों का पढ़ाई-लिखाई में अचानक से मन नहीं लगता है। या पढ़ाई संबंधित चीजों को याद रखने में परेशानी होती है। वहीं आज के समय में शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ते कॉम्पटीशन को देखते हुए बच्चे तनाव में भी देखे गए हैं। बच्चों की इन समस्या का एक कारण वास्तु दोष भी हो सकता है।
वास्तु दोष की वजह से बच्चे अक्सर बीमार भी रहते हैं या उनका पढ़ाई में मन नहीं लगता या आलस्य हावी रहता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको वास्तु के कुछ ऐसे उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनको अपनाने से बच्चे की स्मरण शक्ति और बुद्धि में वृद्धि होती है।
इस रंग की न रखें दीवारें
वास्तु शास्त्र के मुताबिक जहां पर बच्चे पढ़ाई करते हैं वहां की दीवारों का रंग आसमानी, बादामी, सफेद या हल्का फिरोजी होना चाहिए। इसके अलावा यदि बच्चे की स्टडी टेबल भी इसी रंग की हो, तो ज्यादा अच्छा होगा। स्टडी रूम की दीवारें कभी भी काले, नीले या लाल रंग की नहीं होनी चाहिए। इससे पढ़ाई में नुकसान हो सकता है।
पढ़ाई के कमरे में न रखें ये चीजें
बच्चों के पढ़ाई वाले कमरे में रोशनी की कमी नहीं होनी चाहिए। क्योंकि कम रोशनी निगेटिव एनर्जी का संचार करती हैं और इसकी वजह से बच्चों का मन स्थिर नहीं रहता है। वहीं पढ़ाई-लिखाई में नीरसता आती है। बच्चों के स्टडी रूम में सीडी प्लेयर, वीडियो गेम्स, टीवी, मैगजीन और रद्दी आदि अनुपयोगी सामान नहीं रखना चाहिए। इससे भी निगेटिव एनर्जी का संचार होता है।
बच्चों की स्टडी टेबल
बच्चों के पढ़ाई के कमरे में मां सरस्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा या तस्वीर लगानी चाहिए। इसके साथ ही स्टडी टेबल चौकोर होनी चाहिए। टेबल को दीवार या दरवाजे से सटाकर नहीं रखना चाहिए। लाइट के नीचे या उसकी छाया में भी टेबल न सेट करें। इससे बच्चे की पढ़ाई प्रभावित हो सकती है।
इस दिशा में हो पढ़ाई का कमरा
बता दें कि हमेशा उत्तर पूर्व दिशा में बच्चों के पढ़ाई का कमरा होना चाहिए। इस दिशा के स्वामी सूर्यदेव होते हैं और सूर्य देव तेज व शक्ति का प्रतीक माने जाते हैं। इस दिशा में पढ़ाई का कमरा होने से बच्चे का मन, बुद्धि और विवेक प्रभावित होता है और उनका पढ़ाई में मन लगता है। वहीं दक्षिण या दक्षिण पूर्व दिशा में बच्चों के पढ़ाई का कमरा नहीं होना चाहिए। इस दिशा में पढ़ाई का कमरा होने से बच्चों का मन एकाग्र नहीं रहता है।