इस बार पितृपक्ष पखवाड़े में दो ग्रहण पड़ रहे हैं। पितृपक्ष की शुरुआत जहां चंद्रग्रहण के साथ हुई है। पितृपक्ष पखवाड़े का समापन सूर्यग्रहण के साथ होगा। अच्छी बात यह है कि यह दोनों ही ग्रहण भारतवर्ष में दिखाई नहीं देंगे। दुनिया के अलग-अलग देशों में यह दिखेंगे। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि वैदिक पंचांग के अनुसार 02 अक्टूबर को आश्विन अमावस्या है। सनातन धर्म में आश्विन अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। आश्विन अमावस्या पर वर्ष का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण लगने वाला है। यह सूर्य ग्रहण कंकण सूर्य ग्रहण होगा। यह सूर्य ग्रहण कन्या राशि और हस्त नक्षत्र में लगने जा रहा है। सूर्य ग्रहण का धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों महत्व है। इस दौरान तीन ग्रहों पर राहु की सीधी दृष्टि रहने वाली है। बुध, केतु और सूर्य तीनों ग्रह इस दौरान कन्या राशि में बुध, केतु और सूर्य रहेंगे। राहु की सीधी दृष्टि इन सभी ग्रहों पर रहने वाली है।
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि ज्योतिष के ग्रंथ बृहत्संहिता में ग्रहण के बारे में भविष्यवाणियां की गई हैं। इस ग्रंथ में लिखा है कि जब-जब एक ही महीने में दो ग्रहण एक साथ होते हैं, तब-तब दुनिया में हादसों की वजह से जनहानि होती है।
2 अक्टूबर को दूसरा सूर्य ग्रहण
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 2 अक्टूबर को होगा। यह भी भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। साल का आखिरी सूर्य ग्रहण एक वलयाकार ग्रहण होगा। यह तब होता है जब पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा हो, लेकिन इसकी दूरी धरती से दूर हो। धरती से दूर होने के कारण चंद्रमा छोटा दिखता है। इस कारण यह इतना बड़ा नहीं होता कि पूरे सूर्य की किरणों को रोक ले। इस वजह इसके चारों ओर एक रिंग जैसी आकृति दिखाई देती है। इस सूर्य ग्रहण का ज्यादातर पथ प्रशांत में होगा। दक्षिण अफ्रीका के चिली और अर्जेंटीना में यह एकदम साफ दिखेगा।
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सूर्य ग्रहण समय: 2 अक्टूबर की रात्रि 09:13 मिनट से मध्य रात्रि 03:17 मिनट पर समाप्त होगा
सूर्य ग्रहण की कुल अवधि: 6 घंटे 04 मिनट
साल 2024 में 4 ग्रहण
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि साल 2024 में भी चार ग्रहण देखने को मिलेंगे। इनमें से दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण होंगे। साल 2024 का पहला चंद्र ग्रहण 25 मार्च 2024 होली के दिन लगा था। वहीं, दूसरा चंद्र ग्रहण बुधवार 18 सितंबर को लगेगा। इसके अलावा, पहला सूर्य ग्रहण सोमवार 8 अप्रैल को लगा था। दूसरा सूर्य ग्रहण बुधवार 2 अक्टूबर को लगने जा रहा है। विशेष बात यह है कि दोनों ग्रहण के दिन समान ही हैं। यानी कि पहला चंद्र और सूर्य ग्रहण सोमवार को हैं। वहीं दूसरा चंद्र और सूर्य ग्रहण बुधवार को हैं।
कहां-कहां दिखेगा साल का दूसरा सूर्य ग्रहण
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि यह ग्रहण दक्षिण अमेरिका, उत्तरी-अमेरिका के दक्षिणी भागों, प्रशान्त महासागर, एटलांटिक महासागर और न्यूजीलैंड, फिजी आदि देशों में कुछ समय के लिए दिखाई देगा। दिखाई देने वाले मुख्य देश होंगे-चिली, अर्जेंटीना, ब्राज़ील, मैक्सिको, पेरू, न्यूजीलैंड और फिजी में हालांकि, यहां भी बहुत कम समय के लिए दिखाई देगा। इस ग्रहण की कंकण कृति केवल दक्षिणी चिली और दक्षिणी अर्जन्टीना में ही दिखाई देगी।
भारत में मान्य नहीं होगा सूतक काल
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि सूर्य ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले इसका सूतक काल शुरू हो जाता है और ग्रहण लगने के बाद तक रहता है, लेकिन यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं देखा जा सकेगा, इसलिए यहां पर इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।
क्या होता है कंकण सूर्य ग्रहण
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि जब धरती से ठीक एक लाइन में सूर्य , चंद्रमा आ जाते हैं। यानी राहु और केतु पर ना होकर ऊंचे या नीचे होते हैं। तब उसकी परछाई पृथ्वी पर नहीं पड़ती और बिंब छोटे दिखाई देते हैं। जिसकी वजह से सूर्य का मध्य भाग ढक जाता है और उसके चारों तरफ से रोशनी दिखाई देती है लेकिन, इसका मध्य भाग ढक जाता है। इस प्रकार के ग्रहण को कंकण सूर्यग्रहण कहते हैं। जिसने सूर्य कंगन के समान नजर आने लगता है।
2022 में दो ग्रहण का योग
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि साल 2022 में सिर्फ 15 दिन के अंतराल में ही दो ग्रहण लगे थे। 1979 में 22 अगस्त को सूर्य ग्रहण और 6 सितंबर को चंद्र ग्रहण हुआ था। ठीक ऐसा ही योग 2022 में भी बना। 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण था और अब 8 नवंबर को चंद्र ग्रहण था। रविवार 30 अक्टूबर 2022 को गुजरात के मोरबी में मच्छु नदी पर बना सस्पेंशन ब्रिज टूट गया। उस समय पुल पर करीब 500 लोग थे, जो नदी में जा गिरे। इस हादसे में 190 लोगों की मौत हो गई । साल 2022 से पहले 1979 में भी मच्छु नदी का डैम टूटने से हादसा हुआ था, जिसमें हजारों लोग मारे गए थे। 2022 और 1979 के इन दोनों हादसों में एक बात कॉमन है कि उस समय भी सूर्य और चंद्र ग्रहण हुए थे।
1979 में भी हुए थे ऐसे ही हादसे
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि 43 साल पहले 11 अगस्त 1979 को भी मोरबी में डैम टूटने से बाढ़ आ गई थी और हजारों लोग मारे गए थे। उस साल 22 अगस्त को सिंह राशि में सूर्य ग्रहण हुआ था। इसके बाद 6 सितंबर को कुंभ राशि में चंद्र ग्रहण हुआ था। अक्टूबर-1979 में फिलीपींस में तूफान आया था, जिसमें बड़ी जनहानि हुई थी। ठीक ऐसे ही हादसे 2022 में भी हो रहे हैं।
बृहत्संहिता के अनुसार दो ग्रहणों का असर
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि वराहमिहिर द्वारा रचित ग्रंथ बृहत्संहिता के राहुचाराध्याय में लिखा है कि जब दो-दो ग्रहण एक साथ एक ही महीने में होते हैं तो तूफान, भूकंप, मानवीय भूल से बड़ी संख्या में जनहानि होने के योग बनते हैं। एक ही महीने में सूर्य और चंद्र ग्रहण होते हैं तो सेनाओं की हलचल बढ़ती है। सरकारों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। प्राकृतिक आपदा आने के योग रहते हैं।
प्राकृतिक आपदाओं की आशंका
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि प्राकृतिक आपदा के साथ अग्नि कांड भूकंप गैस दुर्घटना वायुयान दुर्घटना होने की संभावना। पूरे विश्व में राजनीतिक अस्थिरता यानि राजनीतिक माहौल उच्च होगा। पूरे विश्व में सीमा पर तनाव शुरू हो जायेगा। रोजगार के क्षेत्रों में वृद्धि होगी। आय में बढ़ोतरी होगी। देश की अर्थव्यवस्था के लिए शुभ रहेगा। खाने की चीजों की कीमतें सामान्य रहेंगी। दुर्घटनाएं आगजनी आतंक और तनाव होने की संभावना। आंदोलन धरना प्रदर्शन हड़ताल, बैंक घोटाला, वायुयान दुर्घटना, विमान में खराबी, शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव होगा। राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप ज्यादा होंगे। सत्ता संगठन में बदलाव होंगे। मनोरंजन फिल्म खेलकूद एवं गायन क्षेत्र से बुरी खबर मिलेगी। बड़े नेताओं का दुखद समाचार मिलने की संभावना।
अगले सूर्य ग्रहण की तारीख
29 मार्च 2025: यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण होगा। यूरोप, एशिया के कुछ हिस्से, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, अटलांटिक महासागर, आर्कटिक महासागर में दिखेगा।
21 सितंबर 2025: यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण होगा। ऑस्ट्रेलिया, अंटार्कटिका, प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर में दिखेगा।
17 फरवरी 2026: यह एक वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा जो अंटार्कटिका में दिखेगा। इसके अलावा आंशिक ग्रहण अंटार्कटिका के अन्य हिस्से, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर और हिंद महासागर में दिखाई देगा।
12 अगस्त 2026: यह एक पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा जो ग्रीनलैंड, आइसलैंड, स्पेन, रूस और पुर्तगाल के एक छोटे हिस्से में दिखेगा। आंशिक सूर्य ग्रहण यूरोप, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, अटलांटिक महासागर, आर्कटिक महासागर और प्रशांत महासागर में देखा जा सकेगा।
– डा. अनीष व्यास
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक