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Tuesday, October 8, 2024

ढाई माह, 15 से ज्यादा प्रदर्शन, क्यों अग्रेसिव है विपक्ष:ये छत्तीसगढ़ कांग्रेस की स्ट्रैटजी या नेताओं की मजबूरी; जानिए 4 बड़े कारण

3 दिसंबर : छत्तीसगढ़ विधानसभा के चुनाव परिणाम आए 21 दिसंबर : साय सरकार के मंत्रिमंडल ने शपथ ली 04 जून : लोकसभा चुनाव के परिणाम आए इसके महज 15 दिन बाद से ही कांग्रेस लगातार छत्तीसगढ़ में अटैकिंग मोड पर है। 20 जून को पहली बार कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर सड़क पर उतरी और फिर ढाई महीने में 15 से ज्यादा प्रदर्शन कर चुकी है। 23 अगस्त के बाद से तो लगभग हर दूसरे दिन कांग्रेस के अलग-अलग विंग ने प्रदर्शन किया है। खास बात यह है कि पार्टी के बड़े नेता भी इन प्रदर्शनों में अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं। संभवत: छत्तीसगढ़ गठन के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है, जब सरकार गठन के साथ ही विपक्ष उस पर लगातार हमलावर है। क्या ये कांग्रेस का बदला हुआ रूप है? नेताओं के बीच खुद को ज्यादा सक्रिय बताने प्रतिस्पर्धा? नई सरकार के खिलाफ अटैकिंग स्ट्रैटजी का कारण? कांग्रेस के इतने आक्रामक होने की 4 बड़ी वजह जानिए भास्कर एक्सप्लेनर में…. पहले जानिए विधानसभा में अभी क्या है स्थिति 2018 में 71 सीटों पर काबिज कांग्रेस साल 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में महज 35 सीटों पर सिमट गई। वहीं लोकसभा चुनाव में भी केवल 1 ही सीट मिली। खराब प्रदर्शन की वजह पिछली सरकार में सत्ता का केन्द्रीकरण, पार्टी में भितरघात और गुटबाजी को बताया गया था। प्रदेश में अब साल के अंत में नगरीय निकाय चुनाव होंगे। इसके लिए फिलहाल 3 महीने का वक्त बाकी है। पार्टी के वो नेता विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भी ज्यादा एक्टिव नहीं दिखे, वो अब पार्टी के प्रदर्शनों में फ्रंट फुट पर आकर लड़ रहे हैं। वो 4 कारण, जो कांग्रेस को बना रहे हमलावर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके करीबियों से लेकर विधायक देवेंद्र यादव और कई बड़े कांग्रेस नेता महादेव सट्टा ऐप, बलौदाबाजार हिंसा मामले समेत पिछले सरकार के कार्यकाल में हुए कथित घोटालों को लेकर पुलिस और कोर्ट-कचहरी की कानूनी दिक्कतों में उलझे हुए हैं। बलौदाबाजार हिंसा के 67 दिन बाद 18 अगस्त को भिलाई विधायक देवेंद्र यादव की गिरफ्तारी हुई। जिसे लेकर अभी सबसे ज्यादा प्रदर्शन हुए हैं। भूपेश बघेल, चरणदास महंत, दीपक बैज समेत पहली पंक्ति के तमाम नेता इस प्रदर्शन में शामिल रहे। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट भी जिस दिन देवेंद्र यादव से मिलने पहुंचे थे, तब भी जेल से लेकर कलेक्ट्रेट तक प्रदर्शन वाला ही माहौल था। वरिष्ठ पत्रकार सुनील कुमार इसे ‘ऑफेंस इस द बेस्ट डिफेंस’ यानि हमलावर होकर खुद को बचाना कहते हैं। सुनील कुमार कहते हैं कि, इस समय कांग्रेस के बड़े नेताओं पर कानूनी खतरे मंडरा रहा है। अगर नेता हमलावर तेवर दिखाएंगे, जिसके चलते अगर उन पर कार्रवाई होती है। ऐसे में वे यह कह सकेंगे कि हमने सरकार की आलोचना और आंदोलन किया तब उसे कुचलने के लिए ऐसा किया जा रहा है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार का कारण छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के नेताओं के बीच गुटबाजी और खेमेबाजी को बताया गया। बड़े नेताओं के बीच तालमेल की कमी और एक दूसरे को नुकसान पहुंचाने की कोशिश में सबसे बड़ा नुकसान पार्टी को हुआ। पाली-तानाखार के पूर्व विधायक मोहित राम केरकेट्टा ने तो सार्वजनिक तौर पर आरोप लगाया था कि पार्टी के ही भीतर के नेताओं ने आदिवासी विधायकों को हराने षडयंत्र के तहत काम किया। प्रदेश में अब पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव होने हैं। ऐसे में पार्टी के नेता हर मुद्दे पर एक साथ आकर साथ दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। दोनों चुनाव में हार के बाद पार्टी के बड़े नेताओं के लिए इस बात की चुनौती है कि बतौर विपक्ष वे खुद को साबित कर सकें। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लोकसभा चुनाव हार गए हैं। दीपक बैज, ताम्रध्वज साहू और टीएस सिंहदेव को भी हार का सामना करना पड़ा। वहीं पिछली सरकार में मंत्री रहे अमरजीत भगत, शिव डहरिया, जयसिंह अग्रवाल, मोहम्मद अकबर और मोहन मरकाम को भी जीत नहीं मिली। ऐसे में समर्थकों और कार्यकर्ताओं को साथ जोड़े रखने और खुद को सबसे ज्यादा एक्टिव और बड़ा लीडर बताने की कवायद चल रही है। चुनावी राजनीति में अगर किसी पार्टी को जनता ने नकारा है तो विपक्ष में रहते हुए अपनी भूमिका साबित करनी होगी। प्रदेश मुद्दे को लेकर सदन से सड़क पर उतरने की जिम्मेदारी विपक्ष की होती है। राजनीतिक दलों के लिए प्रदर्शन जनता के मुद्दों को उठाने सबसे अहम जरिया है। इसके अलावा ऐसे कार्यकर्ता जो मैदान में नहीं है या जिन्हें चार्ज होने की जरूरत है। ऐसे प्रदर्शनों से हार के बाद भी कार्यकर्ताओं में जोश और उत्साह बनाए रखने के लिए कांग्रेस ये प्रदर्शन कर रही है। पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज ने प्रदर्शन की बताई 3 वजह पार्टी में नेताओं के बीच मतभेद और गुटबाजी को लेकर दीपक बैज कहते हैं- नेताओं के बीच विचारों में अंतर हो सकता है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि नेताओं के बीच मतभेद है। यहां सवाल पार्टी का है। सभी नेता साथ दे रहे हैं। पीसीसी अध्यक्ष होने के नाते नेताओं की ड्यूटी मैं लगा रहा हूं। पार्टी के वरिष्ठ नेता को जहां भेजा जा रहा है, वे पूरी ईमानदारी के साथ वहां जा रहे हैं। पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने दुर्ग-भिलाई, नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत जांजगीर, सक्ति और कोरबा, टीएस सिंहदेव ने अंबिकापुर में प्रदर्शन किया। BJP बोली- खुद का वर्चस्व स्थापित करने के लिए लड़ रहे बीजेपी महामंत्री संजय श्रीवास्तव कहते हैं- कांग्रेस के सारे बड़े नेता चुनाव हार गए हैं। अब इनमें अंतर्द्वद्व है। ये बदली हुई परिस्थिति में खुद को स्थापित करने के लिए वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस माहौल बनाने की कोशिश कर ही है लेकिन ये बीजेपी के खिलाफ ना जाकर, कांग्रेस के खिलाफ ही आपसी लड़ाई का कारण बनेगा।

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