इंडस्ट्री का एक ऐसा आउटसाइडर जो फेसबुक और गूगल के जरिए ऑडिशन पता करता था। ऑडिशन लेने वाले मुंह पर कहते थे कि तू कभी एक्टर नहीं बन पाएगा। कभी फिल्में मिल भी जाती थीं तो ऐन वक्त पर उससे निकाल दिया जाता था। हालांकि यह आत्मविश्वास ही था कि ऐसी कठिनाइयां उसके सपनों को रौंद नहीं पाईं। हम बात कर रहे हैं एक्टर कार्तिक आर्यन की। मध्य प्रदेश के ग्वालियर से निकलकर बॉलीवुड के सबसे बड़े एक्टर्स में शुमार हो चुके कार्तिक की सक्सेस स्टोरी काफी दिलचस्प है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि यहां तक पहुंचने के लिए उन्हें कोई सहारा नहीं मिला। आज ये जिस मुकाम पर हैं, इसके पीछे इनका सालों लंबा संघर्ष और दृढ़ इच्छाशक्ति है। संघर्ष से लेकर सफलता की कहानी, खुद कार्तिक की जुबानी… पेरेंट्स डॉक्टर, लेकिन स्थिति बेहतर नहीं थी
कार्तिक एक मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखते हैं। उनके पेरेंट्स डॉक्टर हैं, बावजूद इसके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। कार्तिक और उनकी बहन की जरूरतों को पूरा करने के लिए पेरेंट्स को बहुत त्याग करना पड़ता था। यही वजह है कि कार्तिक को उनके स्ट्रगल से बहुत मोटिवेशन मिलता है। वो अपनी मां को फाइटर मानते हैं और उन्हीं के नक्शे कदम पर चलते हैं। बचपन में डॉक्टरी-इंजीनियरिंग के अलावा कुछ नहीं सूझता था
चूंकि कार्तिक के पेरेंट्स डॉक्टर हैं। जाहिर है, बचपन से उन्हें भी यही बताया गया था कि या तो डॉक्टर बनो या फिर इंजीनियरिंग करो। हालांकि कार्तिक का मन फिल्मों में लगता था। उन्होंने कहा, ‘बचपन में तो मैं यही कहता था कि मुझे डॉक्टर या इंजीनियर बनना है। हालांकि फिल्में देखते-देखते पता ही नहीं चला कि कब एक्टिंग की तरफ रुझान होने लगा। मेरे घर में फिल्में बहुत देखी जाती थीं। हर वीकेंड पर मैं और मेरी बहन टीवी के सामने बैठ जाते थे। बचपन में हमारे पास दो से तीन ही काम होते थे। फिल्में, स्पोर्ट्स देखना और बाहर जाकर खेलना।’ मुंबई जाने के लिए पढ़ाई का बहाना बनाया
उम्र बढ़ने के साथ कार्तिक के अंदर एक्टिंग का रुझान और बढ़ता गया। कार्तिक ने सोच लिया कि उन्हें किसी भी तरह अभिनय की दुनिया में जाना है, लेकिन इसके लिए मायानगरी मुंबई का सफर तय करना था। साथ ही वहां जाने के लिए किसी बहाने की भी जरूरत थी। घर वालों को आखिर क्या बताते? इसी वजह से उन्होंने मुंबई और इसके आस-पास के कॉलेज में दाखिला लेने की जद्दोजहद शुरू की। वे चाहते थे कि मुंबई आकर पढ़ाई भी कर लें और ऑडिशन का भी काम हो जाए। रोज ढाई घंटे ट्रैवल करके ऑडिशन देने जाते थे
कार्तिक नवी मुंबई में बेलापुर नाम की एक जगह पर किराए के मकान में रहते थे। वहां से रोज ढाई घंटे ट्रैवल करके अंधेरी पहुंचते थे। अंधेरी में ही ज्यादातर फिल्मों के ऑडिशन होते थे। कार्तिक अपने साथ कपड़े ले जाते थे। ऑडिशन वाली जगह पर कहीं वॉशरूम ढूंढते थे, ताकि चेंज कर सकें। कार्तिक को कई बार ऑडिशन देने से रोक भी दिया जाता था। सिर्फ इसलिए क्योंकि वे डायरेक्ट बिना किसी सोर्स के वहां पहुंच जाते थे। ऐड फिल्म में भी काम किया, रिजेक्शन मिलने पर टूट जाते थे
कार्तिक ने बताया कि उन्होंने इंडस्ट्री में आने से पहले कई ऐड फिल्मों में भी काम किया है। उन्हें यहां भी काम पाने के लिए बहुत स्ट्रगल करना पड़ता था। वे सिर्फ एक तख्ती पकड़कर कैमरे के सामने खड़े हो जाते थे। कोई बड़ा रोल नहीं मिलता था। साथ ही बहुत सारा रिजेक्शन भी फेस करना पड़ता था। कई बार कार्तिक का हौसला टूट जाता था। वे रोते भी थे। जिस दिन फिल्म मिली, उसी दिन जानलेवा एक्सीडेंट हुआ
2010-2011 के बीच का समय था। कार्तिक के सितारे थोड़े चमकने शुरू हुए। वे किसी तरह लव रंजन की फिल्म ‘प्यार के पंचनामा’ के ऑडिशन तक पहुंच गए। वहां ऑडिशन में सिलेक्ट भी हो गए। हालांकि वहां से लौटते वक्त उनका एक्सीडेंट हो गया। उन्होंने कहा, ‘ऑडिशन से लौटते वक्त मैं जिस रिक्शे में बैठा था, वो पलट गया। मेरा पैर फ्रैक्चर हो गया था। ऐसा लगा कि सारे सपने वहीं टूट गए। सोचने लगा कि बड़ी मुश्किल से तो फिल्म मिली है, अब कैसे शूटिंग कर पाऊंगा। डर था फिल्म से निकाल न दिया जाऊं। हालांकि जब मैंने फिल्म की प्रोडक्शन टीम से रिक्वेस्ट की तो उन्होंने शेड्यूल कुछ दिनों के लिए आगे बढ़ा दिया।’ दो फिल्में करने के बाद भी 12 लोगों के साथ एक पीजी में रहते थे
‘प्यार का पंचनामा’ करने के बाद कार्तिक ने लव रंजन की एक और फिल्म ‘आकाशवाणी’ की। दोनों से उन्हें अच्छी-खासी पहचान मिल गई थी। खास तौर से ‘प्यार का पंचनामा’ में 5 मिनट का उनका मोनोलॉग काफी फेमस हुआ था। हालांकि दो फिल्में करने के बाद भी कार्तिक का स्ट्रगल जारी रहा। वे अभी भी 12 लोगों के साथ एक ही पीजी में रहते थे। उनके लिए सारा खाना बनाते थे। कार्तिक के साथ रहने वाले दोस्त भी ज्यादातर स्ट्रगलिंग एक्टर्स ही थे। कार्तिक अपने मां-बाप से भी ज्यादा पैसे नहीं मांग पाते थे। इसलिए कभी-कभार खर्चे चलाने के लिए दोस्तों से उधार लेते थे। 2018 में मिली असली सक्सेस, इसके बाद बड़ी फिल्मों की लाइन लगी
कार्तिक को असल मायनों में सक्सेस फिल्म ‘सोनू की टीटू की स्वीटी’ से मिली। इस फिल्म ने 100 करोड़ से अधिक का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन किया। इस फिल्म के बाद उन्हें बड़ी फिल्में मिलने लगीं। कोविड के दौर में ‘भूल भुलैया-2’ ने 260 करोड़ से ज्यादा कमाई कर कार्तिक को एक कॉमर्शियल एक्टर के तौर पर स्थापित कर दिया। सपना था कि बड़े घर में पेरेंट्स के साथ रह सकें
कार्तिक का सबसे बड़ा ड्रीम था कि वे मुंबई शहर में एक घर में पेरेंट्स के साथ रह सकें। चूंकि शहर महंगा था, इसलिए शुरुआत में इस सपने को पूरा करना मुश्किल था। हालांकि थोड़ी सफलता मिलने के बाद उन्होंने सबसे पहले मुंबई में एक घर खरीदा, जहां वे अब पेरेंट्स के साथ रहते हैं। शाहरुख-अक्षय से तुलना पर बोले- उन दोनों के लेवल को छू भी नहीं सकता
कार्तिक की तुलना शाहरुख खान और अक्षय कुमार से की जाती है। कार्तिक इन दोनों सुपरस्टार्स की तरह ही आउटसाइडर हैं और फिलहाल इंडस्ट्री के सबसे बड़े एक्टर्स में शुमार हैं। ऑडियंस और फैंस भले ही कार्तिक की तुलना शाहरुख और अक्षय से करते हैं, लेकिन इस बारे में खुद कार्तिक का ओपिनियन कुछ और है। उन्होंने कहा, ‘अक्षय और शाहरुख सर के साथ मेरी कोई तुलना ही नहीं है। उन दोनों की जर्नी काफी बड़ी रही है। दोनों ने कई सालों तक लोगों के दिलों पर राज किया है। मैं खुद भी उन दोनों का फैन हूं। मैं उनके लेवल को नहीं छू सकता। हां, मेरी भी एक ऑडियंस है, जो मुझे पसंद करती है। मेरी कोशिश रहती है कि उन्हें जितना हो सके, एंटरटेन कर सकूं।’ कभी थर्ड हैंड कार से चलते थे, आज गैराज में मिनी कूपर, लैंबॉर्गिनी सहित कई गाड़ियां
कार्तिक के पास इस वक्त मिनी कूपर और लैंबॉर्गिनी सहित कई गाड़ियां हैं। हालांकि स्ट्रगल के दिनों में वे एक थर्ड हैंड कार से चलते थे। इस पर बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘मैंने एक थर्ड हैंड कार खरीदी थी। वो ऐसी कार थी, जिसे कोई फ्री में भी न खरीदे। काफी सालों तक उसे यूज किया था। खैर, मेरे पास और कोई ऑप्शन भी नहीं था, ज्यादा पैसे भी नहीं होते थे कि अच्छी गाड़ी खरीद सकूं। बस काम चलाने के लिए लिया था।’ ———————————-
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