28.5 C
Bhilai
Saturday, February 15, 2025

Kundli 4th House: घर-परिवार और सुख-सुविधाओं को दर्शाता है कुंडली का चौथा भाव, यहां देखिए

जन्म कुंडली में विराजमान ग्रहों की गणना कर व्यक्ति के जीवन के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है। वहीं कुंडली का चौथा घर माता, सुख, मकान और वाहन का माना जाता है। इस भाव से व्यक्ति की सुख-सुविधा, भोग-विलास, अचल संपत्तियां, माता के साथ संबंध, निजी जीवन और शुरुआती शिक्षा के बारे में विचार किया जाता है। कुल मिलाकर देखा जाए, तो कुंडली का यह भाव काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। यह कुंडली के केंद्र स्थान में आता है।

वैदिक दृष्टि से देखा जाए, तो कुंडली के चौथे भाव को बंधु भाव भी कहा जाता है। चौथे घर पर चंद्रमा और कर्क राशि शासन होता है। चौथे भाव से जातक के जीवन में मिलने वाली सुख-सुविधाओं के बारे में पता चलता है। कुंडली का चौथा भाव चंद्रमा और माता का कारक होता है। वहीं चंद्रमा मन का कारक होता है और यदि कारक स्थान में आकर बैठता है, तो इन भावों के प्रभावों में वृद्धि करता है। कुंडली के चौथे भाव में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होने पर व्यक्ति का अपनी मां के साथ प्रति संबंध मधुर होता है और समर्पित होता है।

इसे भी पढ़ें: Love Horoscope For 29 November 2024 | आज का प्रेम राशिफल 29 नवंबर | प्रेमियों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन

बता दें कि कालपुरुष की कुंडली के चौथे भाव में कर्क राशि का आधिपत्य होता है और इसके स्वामी चंद्रमा होता है। उत्तर कालामृत में कुंडली के चतुर्थ भाव में पानी, वाहन, माता, जाति, रिश्ते, गाय, दूध और भैंस आदि को दर्शाता है। इसके अलावा यह भाव तालाब, विश्वास, हवेली, घर पर मनोरंजन और कला के बारे में विचार किया जाता है। कुंडली के चौथे भाव से अचल संपत्ति, जमीन-जायदाद, वाहन सुख और शिक्षा को प्रभावित करता है।
कुंडली का चौथा भाव हमारे आसपास के रिश्तों और संबंधों के बारे में बताता है। यानी की यह भाव आपके रिश्तों को दर्शाता है। इससे छोटे भाई-बहनों की सुख-सुविधाओं को और बच्चों के खोने का डर बताता है।
वहीं कुंडली के चौथे भाव से ही आपकी पत्नी और बच्चों के बारे में देखा जाता है। यह ससुराल पक्ष के लोगों भाग्य, परिवार में संयुक्त संपत्ति में आपके भाग्य, कर्जों से मुक्ति का बोध करता है। चौथा भाव आपके पार्टनर के करियर और प्रोफेशन के बारे में भी जानकारी देता है। कुंडली का चौथे और दसवें भाव में विराजमान ग्रह एक-दूसरे के साथ अच्छे संबंध बनाते हैं।
चौथे भाव में ग्रह
बता दें कि अगर कुंडली के चौथे भाव में सूर्य कमजोर या पीड़ित है, तो जातक के जीवन में असंतोष आता है। क्योंकि चौथे भाव में सूर्य का होना अच्छा नहीं माना जाता है। नीच का सूर्य होने पर व्यक्ति भूमिहीन, मकान सुख से वंचित और धनहीन होता है। लेकिन यदि सूर्य स्वराशि का हो तो चौथे भाव में अच्छा माना जाता है।
कुंडली के चौथे भाव में चंद्रमा होने से यह भाव बहुत अच्छा फल देता है। चौथे भाव में उच्च का या स्वराशि का चंद्रमा हो और इस पर शुभ और उच्च ग्रहों की दृष्टि पड़ने से व्यक्ति सभी प्रकार के सुखों को भोगता है।
कुंडली के चौथे भाव में मंगल होने पर जातक अपराधी स्वभाव का होता है। क्योंकि इस भाव में मंगल अच्छा नहीं माना जाता है।
वहीं अगर किसी जातक की कुंडली के चौथे भाव में बुध ग्रह होता और इस पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो ऐसे व्यक्ति को नौकर चाकर, सुख-सुविधा समेत अन्य तरह की खुशियां और सुविधाएं मिलती हैं।
कुंडली के चौथे भाव में उच्च का गुरु और अन्य ग्रहों की शुभ दृष्टि गुरु पर पड़ती है, तो व्यक्ति उच्च पद को प्राप्त करता है। ऐसे जातक को राज्य से अच्छा धन प्राप्त होता है। लेकिन यदि इस भाव में गुरु नीच का होता है, तो जातक के परिवार में भाइयों से संबंध अच्छे नहीं होते हैं।
कुंडली के इस भाव में शुक्र के विराजमान होने या फिर इसकी दृष्टि पड़ने पर व्यक्ति हर तरह की भौतिक सुख-सुविधाओं का भोग करता है। कई बार ऐसा जातकों का भाग्योदय शादी के बाद भी होता है।
कुंडली के चतुर्थ भाव में शनि ग्रह का होना भी अच्छा नहीं माना जाता है। क्योंकि शनि धीमी गति से चलने वाला ग्रह है और यह कार्यों में धीमापन लाता है। यदि इस भाव में शनि नीच होकर विराजमान होता है, तो जातक के जीवन में दरिद्रता आती है और ऐसा व्यक्ति एकांतप्रिय व बुढ़ापे में चिड़चिड़ा हो जाता है।
कुंडली के चौथे भाव में राहु के होने से व्यक्ति को जमीन-जायदाद के मालिक होने की तीव्र इच्छा होती है। लेकिन अगर इस भाव में राहु पीड़ित है, तो इसको अच्छा नहीं माना जाता है।
इसके साथ ही इस भाव में केतु के होने पर व्यक्ति को अपना मूल स्थान छोड़कर कहीं और बसना पड़ता है।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles